लाहौल ! जनजातीय जिला के पट्टन घाटी में नव वर्ष के आगमन का यह पर्व उतना के नाम से मनाया जाता है! इस पर्व का आयोजन बहुत साधारण सा होता हैं। पूर्व संध्या पर गोबर और काली मिट्टी से फर्श लीप कर शुद्धि की जाती हैं । सुबह घर का सबसे बड़ा पुरुष स्नान करके अपने कुलज देवता को नहलाया जाता है और घी के दिये जलाते हुए उसकी विधि विधान द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, और छत पर जाकर ग्राम देवता ओर कुलजदेवता को भोग अर्पित किया जाता है,इसके अलावा इस पर्व में पुरखों को सतु ओर घी का पिंड दान करते है।ये भी मान्यता है कि धुएं के सहारे यह पिंड दान आकाश में बैठे पितरों तक पहुंच जाता है,यह सारा अर्पण जैसे घी ,सतु ओर रोटी को छत पर एक पत्थर के उपर सजा कर रखा जाता है,यह सारा अर्पण किया हुआ अन्न पक्षियों के माध्यम से पितरों को प्राप्त होता है ,और ग्राम देवता के दरवाजा शुक्रवार से बंद किया गया है! माना जाता हैं की अब देवी देवता तीन माह के लिए स्वर्ग में चले जाते है । अब इस मन्दिर का दरवाजा बेशाखी के दिन खोल दिया जाएगा।
लाहौल ! पट्टन घाटी में नव वर्ष के आगमन पर उतना के नाम से पर्व मनाया जाता है।
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
- विज्ञापन (Article inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -