चम्बा ! नव वर्ष की पूर्व संध्या पर सुंदर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में ‘कला सृजन पाठशाला’ द्वारा ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन’ के साहित्यिक अवदान पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्थानीय लेखकों तथा कवियों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से कवियों तथा विद्वान लेखकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पाठशाला के अध्यक्ष श्री शरत् शर्मा के स्वागत वक्तव्य तथा बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ के संक्षिप्त परिचय से हुआ । इसके बाद सभी कवियों ने क्रमवार अपनी रचनाओं का पाठ करके समा बांधा दिया। शरत् शर्मा ने ‘बस्ता’ और ‘नदी तट’ कविताओं का पाठ करके सभी को मंत्रमुग्ध किया वहीं महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने ‘मंच ऐसी धूम मचाओ’ कविता का पाठ करके वर्तमान राजनीति पर करारा व्यंग्य किया।
दिल्ली से जुड़ी कवियत्री डॉ.ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता तथा प्रियंवदा त्यागी ने अपनी रचनाओं से सभी का मन मोह लिया।डॉ.ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता ने ‘छुट्टी ले लो’ संस्मरण एवं प्रियंवदा त्यागी ने ‘सृजन’ तथा ‘इन दिनों मैं प्रेम लिख रही हूं’ कविता का पाठ किया। बिहार के चंपारण जिले से जुड़े कवि देवी दत्त मालवीय ने ‘बचपन के पल’ कविता को अत्यंत मार्मिक ढंग से पेश किया ।
किरण कुमारी ने ‘गुरु’ सुलोचना देवी ने ‘बेटियां’ तथा सपना ने ‘जीवन सागर’ कविता का पाठ किया। कुमार आर्यन ने ‘अल्फाज मन के’ कविता द्वारा अपने मन के उदगार प्रकट किए। वहीं उषा देवी ने ‘गम तो लगेगा’ कविता का पाठ किया । लता देवी ने ‘मां’ एवं मोनिका शर्मा ने ‘परिवर्तन’ कविता से सभी को आत्मविभोर किया। कवि हेमराज ने ‘बीते वर्ष की आबरू’ कविता का पाठ करके संदेश दिया कि इस वर्ष अवश्य ही विश्व इस महामारी से उबर सकेगा।
अक्षय भवानी ने ‘अभी मंजिल दूर है’ तथा ‘नारी आवाज’ कविता से नारी की वास्तविकता को उभारा। मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने गूगल-मीट में सभी उपस्थित सदस्यों का जुड़ने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस वर्ष मंच में पढ़ी जाने वाली रचनाओं को पुस्तक रूप में लाया जाएगा।
मंच का संचालन मंच के महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार ने सुचारू और व्यवस्थित ढंग से किया। इस अवसर पर लगभग 65 कवियों, लेखकों तथा मनीषियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।