हमें कोरोना महामारी के साथ जीवन जीना सीखना ही होगा !

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सांकेतिक चित्र
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हिमाचल ! हमने पिछले लेख में यह बताने का प्रयास किया था कि कोरोना महामारी कैसे फैल रही है और हम इस महामारी में जीने के लिए कैसे अभिशप्त हैं। हमने यह भी प्रयास किया है, कि हम यह बता सके इस महामारी से कैसे बचा जा सकता है। हम कोविड-19 के रूप में एक ऐसी महामारी से संघर्ष कर रहे हैं जिसकी इतिहास में कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती। हम उम्मीद कर रहे हैं कि शायद वैक्सीन आने से मानव जाति को कोरोना वायरस तत्काल निजात मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।

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कोरोना वैक्सीन व्यक्ति विशेष को तो इस महा संक्रमण से निजात दिला सकती है, लेकिन इस महामारी को बढ़ने से रोकना हमारा काम है। यह संक्रमण हमारे देश और विश्व में कब तक चलता रहेगा इसका पूरा अनुमान लगाना इतना सहज और संभव नहीं है। हम यह बिना समझे कि वैक्सीन आने के बाद कोरोना वायरस भागता हुआ नजर आएगा या हमारे समीप नहीं लगेगा ऐसा नहीं है। हम सब को एकजुट होकर कोरोना वायर के विरुद्ध जंग लड़नी होगी।इसमें घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। इससे पहले भी मानवता ने कई प्रकार की बीमारियां देखी हैं झेली हैं और उन संक्रमणों से लड़ने में सफलता पाई है। आज से करीब 60 पीढ़ियां पहले, 541 ईसवी में ब्यूबोनिक प्ले गने सारे विश्व में 20 करोड लोगों की जान ले ली थी।कमाल की बात तो यह है कि इसके तत्व आज भी मौजूद है।

1520 का वह वायरस कौन नहीं जानता जिसे चेचक कहते हैं ।देश ने व प्रदेश में चेचक का तांडव देखा ही है जिसने सारे विश्व में 35 करोड लोगों की जान ली। अंततः चेचक की वैक्सीन बनी और मानवता को बचाया जा सका। विज्ञान की इस उपलब्धि के चलते आज चेचक से मुक्ति हो गई है और बीमार होने का जोखिम भी खत्म हो गया। हैजा भी मानव जाति पर कहर ढा चुका है। यह बीमारी वाइब्रो कोलेरी के व्यक्तियों से होती है जो संक्रमित खाने में पाई जाती है। स्पेनिश फ्लू महामारी ने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को विश्व में मौत के घाट उतार दिया। इसी तरह स्वाइन फ्लू ,ऐड्स, पोलियो जैसी बीमारियां मानव जाति को घेरे रही हैं। पोलियो और चेचक जैसी बीमारियों पर सरकार ने बड़े-बड़े अभियान चलाएं और बीमारियों से निजात दिलाई। घर घर जाकर पोलियो की बूंदे बूंदें पिलाकर पोलियो को भी भगाया गया। जैसे चेचक और पोलियो की महामारी उन्मूलन ने साबित कर दिया कि दुनिया भर के वैज्ञानिक एक साथ आते हैं और मिलकर काम करते वैक्सीन पैदा करते हैं। वैसे ही अभी यह प्रयास जारी है। भले ही बिना लक्षण वाले लोग भी ग्रुप करो ना संक्रमित हो सकते हैं।

विश्व भर में वैज्ञानिक कोविड-19 का वैक्सिंग बनाने में लगे हुए हैं और कुछ हद तक सफलता भी मिली है। इस संदर्भ में,फाइज़र द्वारा निर्मित कोरोना की वैक्सीन को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने ले लेना आरंभ कर रहे है। इन देशों ने कोविड-19 के नियमों में कोई भारी छूट नहीं दी है वे बराबर सावधानियां बरत रहे हैं.। हम यह कहना चाह रहे हैं कि बिना सरकार को देखे हुए या किसी और तंत्र की प्रतीक्षा किए हुए अपने आप को कोविड-19 से बचाइए और इस संघर्ष में मानवता व प्रदेश की जनता का भी साथ दीजिए। एक बार फिर बता दे कि इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में जो संकेत मिलते हैं उनके अनुसार श्वासन संबंधी लक्षण, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ होना आदि शामिल है यहां तक कि या संकरण निमोनिया में भी परिवर्तित हो जाता है जिससे गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले 88 फ़ीसदी लोगों को बुखार, 68 की सभी लोगों को खांसी और कफ, 8:30 फ़ीसदी लोगों को थकान, 18 फ़ीसदी लोगों को सांस लेने में तकलीफ, 14 फ़ीसदी लोगों को शरीर और सिर में दर्द, 11 फ़ीसदी लोगों को ठंड लगना और 4 फ़ीसदी लोगों में डायरिया के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।

अगर आपको चीजों में स्वाद नहीं मिल रहा और आसपास की चीजों की गंध नहीं आ रही तो आप को सावधान हो जाना चाहिए और करोना की जांच करवा लेनी चाहिए। एक बार फिर बता दें कि कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें करोड़ों का कोई लक्ष्य नजर नहीं आ रहा फिर भी वह करो ना संक्रमित है। करोना फैलने के लिए 7 साल से ऊपर के व्यक्ति और 10 साल से 15 साल तक के बच्चों में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। घबराए नहीं सावधानियां बरतें अपने प्रदेश को और देश को कोरोना से संघर्ष करने मे सहयोग दें। हमारे प्रदेश और देश में वैक्सीन मिलने के लिए अभी समय लगेगा और वैक्सीन मिलने के बाद भी ये सब सावधानियां बरतनी ही होंगी।

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