शिमला ! हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कोविड-19 सेंटर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट ने यह जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा कोविड के प्रकोप को रोकने के लिए उठाए गए कदमों व अतिरिक्त बिस्तरों और अन्य तरह की सुविधाओं बाबत भी न्यायालय को अवगत करवाने के आदेश जारी किए हैं।हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किए। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि प्रदेश के नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाना राज्य सरकार का दायित्व है।
इस बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए राज्य सरकार ने अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में मशीनें स्थापित नहीं की हैं। जिस भी व्यक्ति को इस बीमारी का अंदेशा होता है अगर उसे अस्पताल में अपना टेस्ट करवाने के लिए जाना पड़ता है तो उसे 3 से 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। अस्पतालों में बैठने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है।वहीं जो भी व्यक्ति अपने रेगुलर चेकअप के लिए किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होने के कारण आता है, उसके भी कोरोना की चपेट में आने का अंदेशा रहता है। राज्य की सरकार की ओर से प्रदेश महाधिवक्ता ने बताया कि कोविड-19 मंदिर तीन प्रकार के टेस्ट लिए जाते हैं।
मामले की सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि वह अस्पतालों में नए उपकरण लगाकर उचित प्रबंध करें ताकि लोगों को टेस्ट करवाने के लिए अधिक देर तक इंतजार न करना पड़े।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड से ग्रसित व्यक्ति जब तक अपने टेस्ट का इंतजार करेगा तब तक वह अन्य लोगों को भी इस बीमारी से ग्रसित कर सकता है। इस मामले पर सुनवाई 27 नवंबर को होगी।