बददी ! आज दुनिया भर में पर्यावरण को स्थाई रखने व वातावरण को दूषित करने से बचाने के लिए इसकी अनेकों देशों में द्वारा अन्य अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन हमारी वैदिक सनातन पद्धति में इसका वर्णन प्राचीन काल से ही ऋषि मुनी यज्ञ के माध्यम से अनेकों देवीय शक्तियों को अवतरित कराते थे। जिससे स्वयं भगवान यज्ञ का स्वरूप एक मानव को दर्शाया गया है और उसकी युगों में देवता, दानव, मनुष्य करेंगे जिससे सभी जीव, वनस्पति आदि का कल्याण होगा। यज्ञ के माध्यम से आज जो हो रहे प्रदूषित वातावरण को नियंत्रित ही नहीं किया जा सकता अपितु जनजीवन, कृर्षि, वायु, जल आदि की अपूर्णनीय हानि को बचाया जा सकता है जिसमें अनेक प्रकार की वस्तुएं जैसे घी, शहद, कपूर, पान, सुपारी, आम, नीम, छौंक, पीपल आदि समदा के रूप में अग्नि की ज्वाला से उत्पन्न गैस निकलती है जिससे प्रदूषण में समाहित विषैले तत्वों का अंत होता है और मानव एवं जीव जंतु ले रहे गैस का भार कम होता है। जिसे स्वसन क्रिया करने में सुगमता होती है।
इसी निमित्त आर्य समाज बददी के अध्यक्ष कुलवीर आर्य द्वारा यज्ञ के माध्यम से जनहित/लोकहित के लिए आवाह्नन किया गया प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में मंत्रोच्चारण के साथ अपने घर में यज्ञ कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बात उनके द्वारा किए गए प्रयोग में भी सिद्ध हो गई है। दीपावली के मौके पर पटाखे आदि के कारण प्रदूषण का एयर क्वालिटी इंडेक्स सुबह 370 तक पहुंच गया था तथा घर पर यज्ञ के बाद इसकी दोबारा जांच की तो यह घट कर 160 तक पहुंच गया। इससे यह साफ है कि यदि देश के 130 करोड़ लोगो में से पांच प्रतिशत भी महीने में यज्ञ कर ले तो प्रदूषण कि समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है।