चम्बा ! पांगी घाटी में तीन दिवसीय फुलयात्रा मेला बुधवार से शुरू किया गया। यह मेला जहां आपसी भाईचारे के लिए प्रसिद्ध है वहीं ग्रीष्म ऋतु के समापन और सर्दियों का आवगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
पांगी में फुलयात्रा मेला कब से मनाया जाता है इसके बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। पांगी घाटी में फसलों का काम पूरा होने और शरद ऋतु के आगमन पर सुख-समृद्धि की कामना के लिए हर वर्ष अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह में फूल यात्रा मेले का आयोजन किया जाता है।
इस मौके पर करयास, सेरी फटवास, करेल गांव से लोग पारंपरिक परिधान में सज धजकर वाद्य यंत्रों की धुनों के बीच कूफा गांव तक जाते हैं तथा वहां पूजा पाठ करते हैं। तीन दिन तक की इस यात्रा में लोग एक-दूसरे को सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। लोग सर्दियों से बचने के लिए गर्म वस्त्रों को खरीदते हैं।
क्योंकि यहां बर्फबारी के बाद छह से सात माह तक पांगी मुख्यालय का संपर्क दुनिया से कटा रहता है। इस दौरान केवल हवाई यात्रा से ही पांगी तक पहुंचा जा सकता है। वहीं फूल यात्रा के बारे में एक अन्य मान्यता यह है कि तीन दिनों तक लोग आटा पिसवाने के लिए घराट में नहीं जाते हैं, जो अपशगुन माना जाता है।