शिमला । भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा एक दिवसिय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन ।

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शिमला । भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा “शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक उत्पाद तकनीकी” विषय पर एक दिवसिय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया ।

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, शिमला के बागवानी शोध फार्म, ढांड़ा नजदीक टुटू, शिमला पर आज “शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक उत्पाद तकनीकी” विषय पर एक दिवसिय विषय पर अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतगर्त एक दिवसिय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया ।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. कल्लोल कुमार प्रामाणिक, अध्यक्ष, क्षेत्रीय केंद्र द्दारा मुख्य अतिथि श्री निशांत ठाकुर, सयुक्त सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद, बेम्लोई, शिमला, बिशिष्ट अतिथि, श्रीमती मीरा ठाकुर, प्रधान, चायली पंचायत, डॉ. धर्म पाल वालिया, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. ऐ.के. शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. मधु पटियाल, वैज्ञानिक, डॉ. संतोष वाटपाडे‌, वैज्ञानिक, श्री जोगिंद्र सिंह, बी.ड़ी.सी. सदस्य चायली पंचायत व इस केंद्र मे कार्यरत सभी वर्गों कर्मचारियों तथा अनुसूचित जाति के किसान व बागवान भाई – बहिनों की उपस्तिथि में की गयी और इस कार्यक्रम मे शामिल होने के लिए सबका आभार व्यक्त किया गया ।

डॉ. कल्लोल कुमार प्रामाणिक ने केंद्र मे चल रहे शोध कार्य से सबको लाभांवित होने के लिए आग्रह किया । उन्होनें शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ का वैज्ञानिक तरीके से खेती करके आय बढाने के लिये प्रेरित किया ताकि किसानों / बागवानों की आय 2022 तक दो गुणी हो जाये । इसके लिए उन्नत पौधे/ बीज/ मूलवृन्त लगाना चाहिए और बागीचों के प्रबंधन के उपर ध्यान देना चाहिए ताकी पोषण युक्त तथा अधिक से अधिक पैदावार की जा सके।

उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना के पीछे सरकार का लक्ष्य यह है कि इस परियोजना के तहद अनुसूचित जाति के किसानों / बागवानों को फलों के पौधे, उनको बचाने हेतु शेडिंग नेट व रसायन, गार्डन टूल्ज आदि उपलब्ध करवाए गए । डॉ. कल्लोल कुमार प्रामाणिक ने “पुसा खोर” अखरोट, पुसा सेब मुलब्रिंत-101, पुसा अमरतारा प्राइड ब पुसा गोल्ड सेब के लिये, शिमला डेलिसियस ब जतोघ स्पेसल स्ट्रबेरी के लिये, एच.एस-507, एच.एस-542 ब एच.एस-562 गेहूं के लिये, बि.एच.एस-380 ब बि.एच.एस-400 जौ के लिये किस्मे का जिक्र्र किया !

मुख्य अतिथि श्री निशांत ठाकुर ने बताया कि यदि इस तरह के सरकारी प्रोग्रामों को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिये जो कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, शिमला ने कर दिखाया है । उन्होंने विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं पर्यावरण के बारे में भी सुझाव दिये । उन्होनें इस शोध केंद्र से शीतोष्ण फलों तथा गेहूं व जौ की खेती करने का सूचना उपलब्ध करने की सलाह दी एबं प्रशिक्षण पुस्तिका की उन्मोचन किया।

डॉ. धर्म पाल, प्रधान वैज्ञानिक ने गेहूं की अधिक पैदावार और उसकी वैज्ञानिक तरीके से कैसे देख रेख की जानी चाहिए जिससे की अधिक पैदावार की जा सके इसके बारे मे जानकारी दी । डॉ. अरूण कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक ने वैज्ञानिक तरीके से शीतोषण फलों के पौधों को सही तरीके से उगाने के बारे में प्रकाश ड़ाला । उन्होनें कांट छाट, जेविक व रसायनिक खाद के बारे में भी जानकारी दी । डॉ. मधु पटियाल, वैज्ञानिक ने जौ उत्पादन को वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित तरीके से करने के बारे में बताया तथा अधिक से अधिक लाभ उठाने के सूझाव दिये । डॉ. संतोष वाटपाडे‌, वैज्ञानिक ने पौधों को बिमारियों, कीट पतंगों तथा अन्य खतरों से कैसे बचाया जाता है एवं कौन-2 सी दवाईयां तथा उनके उपयोग के बारे में जानकारी दी । श्रीमती मीरा ठाकुर, प्रधान, चायली पंचायत ने इस प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से अधिक से अधिक लाभ उठाने के सूझाव दिये !

इस प्रशिक्षण शिविर में 30 से अधिक पुरुष व महिला किसानों / बागवानों ने भाग लिया ।

किसानों को व्यवहारिक प्रशिक्षण इस केंद्र के तकनीकी स्टाफ द्दारा जैसे कि गड्डे बनना, खाद को मिलाना व कांट छाट के बारे मे दिया गया ।

अध्यक्ष, मुख्य अतिथि एबं बिशिष्ट अतिथि ने सभी प्रशिक्षको को प्रशिक्षण प्रमान पत्र एवं प्रशिक्षण पुस्तिका वितरित की !

यह कार्यक्रम डॉ. संतोष वाटपाडे‌, वैज्ञानिक द्वारा संचालित किया गया । इस प्रशिक्षण शिविर का समापन डॉ. मधु पटियाल, वैज्ञानिक के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ

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