हिम्कोस्ट द्वारा”वाइल्ड लाइफ एंड इट्स कंजर्वेशन” पर वेबिनार का आयोजन

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सांकेतिक चित्र
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‘वन्यजीव सप्ताह’ 2-8 अक्टूबर से भारत में हर साल मनाया जाता है। वन्यजीव सप्ताह का उद्देश्य लोगों को वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। इसके अलावा, भारत सरकार ने वन्यजीवों की एक भारतीय बोर्ड की स्थापना की, जो वन्यजीवों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करता है। वन्यजीव हमारे पर्यावरण को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वन्यजीव हमारी प्रकृति की विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं में संतुलन बनाते हैं।

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इस संदर्भ में, एच् पी एनविस हब, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिम्कोस्ट ) ने कोविद -19 महामारी को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन माध्यम से “वन्यजीव सप्ताह” मनाया। कार्यक्रम का आयोजन वेबिनार के माध्यम से किया गया था। वेबिनार का आयोजन “वाइल्ड लाइफ एंड इट्स कंजर्वेशन” थीम पर किया गया। वेबिनार में 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

डॉ० अपर्णा, समन्वयक, एनविस ने वेबिनार की मेजबानी की और इस सप्ताह महत्त्व पर प्रकाश डाला। वेबिनार के लिए प्रख्यात वक्ता सुश्री तिलोत्तमा वर्मा, आई०पी०एस, अतिरिक्त निदेशक, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यू सी सी बी),भारत सरकार डॉ० सविता, आई०एफ०एस०, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HoFF), एच.पी. वन विभाग, शिमला और डॉ० जी०अरेंद्रेंनन, निदेशक, आई०जी०सी०ऍम०सी०, विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ), थे। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ० सविता ने कहा की हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने बंदरों की समस्या से प्रदेश वासियों को राहत दिलाने के लिए बहुत से कदम उठाये हैं। उन्होंने ये भी कहा की गंगा के जीर्णोद्धार के लिए उठाये गए कदम काफी कारगर रहे हैं। और अब यह देश की 9 अन्य नदियों के लिए भी उठाये जाएगे।

सुश्री तिलोत्तमा वर्मा ने चेताया की संयुक्त राष्ट्र 150 सदस्ययों के शोध के अनुसार अगले कुछ वर्षों में लगभग दस लाख वन्य जीव विलुप्त हो जाएगे और इसका एक मुख्य कारण अवैध शिकार है, जो जीवो के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में अवैध शिकार तथा लकड़ी की अवैध तस्करी का व्यापार लगभग चालीस अरब का है। भारत फ्लोरा और फौना मे समृद्ध देश है और यहाँ से बहुत सारे जीवों का दक्षिण पूर्व एशिया तथा चीन के लिए अवैध व्यापार होता है। इन मे से प्रमुख प्रजातियाँ, शेर, तिब्बतन एन्टीलोप (चीरू), पेंगोलिन, सांप, कछुए तथा तितलियाँ हैं। इस श्रेणी में हिमाचल प्रदेश से बर्फानी तेंदुआ, तेंदुआ, सांप, पेंगोलिन इत्यादि रिपोर्ट किये गए हैं। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो इन जीवों का अवैध व्यापार रोकने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा की तस्कर अति आधुनिक तरीकों और हाथियारों का प्रयोग कर रहे हैं। और इस से निपटने के लिए विभिन्न विभागों को मिल कर काम करना होगा।

डॉ०जी० अरीन्द्रन ने वन्यजीवों की ट्रैकिंग मे इस्तेमाल की जाने वाली विभिन तकनीकों जैसे रेडिय, जीपीएस, सैटलाइट, कैमेरा, राडार, ड्रोन, श्रवण, वीएचएफ ट्रैकिंग, कंजर्वेशन जेनेटिक्स, आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस, आई ओ टी के बारे मे विस्तार से जानकारी दी। लगभग 2 घन्टे तक चले इस वेबिनार में विद्यार्थिओं, शोधकर्ताओं और वन विभाग के अधिकारिओं ने भाग लिया तथा इसकी बहुत सराहना की। उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का विशेषज्ञों ने बहुत सरल भाषा में उत्तर दिया। सभी विशेषज्ञों ने एक मत से कहा की वन्य प्रजतिओं को बचाने के लिए सभी लोगों को प्रयास करने होंगे।

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