जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन – सीटू !

0
1611
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

शिमला ! ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किये गए। इसमें हज़ारों मजदूर शामिल हुए। मजदूर संगठन सीटू के नेतृत्व में शिमला के डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया जिसमें मांग की गई कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर रोक लगाई जाए। चबालीस श्रम कानून के बदले चार लेबर कोडों की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। पचास वर्ष की आयु अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए।

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

शिमला के डीसी ऑफिस में हुए मजदूरों के प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,हिमाचल किसान सभा राज्य महासचिव डॉ ओंकार शाद,सीटू उपाध्यक्ष जगत राम,डीवाईएफआई राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बलबीर पराशर, सीटू जिला सचिव बालक राम,सुरेंद्र बिट्टू,मदन,दलीप,दर्शन लाल,भूप सिंह,दीप राम,राजेन्द्र राजू,अमित,अनिल,नितीश राजटा आदि शामिल रहे।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किये जा रहे हैं। श्रम कानूनों में किये गए ये बदलाव पूर्णतः मजदूर विरोधी हैं। इन बदलावों से भारत व हिमाचल प्रदेश के करोड़ों मजदूरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इनसे देश के मजदूर वर्ग का लगभग तिहत्तर प्रतिशत हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा। देश के चबालीस श्रम कानूनों को खत्म करके केवल चार लेबर कोड़ों में तब्दील किया जाएगा जिस से नियोक्ताओं को फायदा होगा व मजदूरों का शोषण और ज़्यादा गहरा होगा। इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि इन्हीं बदलावों की पृष्ठभूमि में हिमाचल प्रदेश में हुए श्रम संशोधनों से अकेले हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्रीज एक्ट में बदलाव से प्रदेश के पांच हज़ार दो सौ पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले साढ़े तीन लाख मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। ठेका मजदूर कानून में बदलाव से प्रदेश में लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी। इन बदलावों के परिणाम स्वरूप प्रदेश में लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी। इन बदलावों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के ज़रिए मजदूरों का भारी शोषण होगा। इन बदलावों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी। इन बदलावों से मजदूरों के कार्य के घण्टे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिस से न केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा अपितु एक-तिहाई मजदूर रोज़गार से वंचित हो जाएंगे। इस तरह ये बदलाव पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं। ये बदलाव पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इस से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा।

उन्होंने कहा है कि बैंक,बीमा,बीएसएनएल,रेलवे,रक्षा क्षेत्र,ट्रांसपोर्ट,कोयला,बिजली,एयरपोर्ट सहित देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्रों को एक-एक करके बेचा जा रहा है जोकि बेहद चिंतनीय विषय है। इस प्रक्रिया को निजीकरण के ज़रिए पूर्ण किया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र इस देश की बुनियाद है व इसे बेचा जा रहा है। इस देश के निर्माण में सरकारी कर्मचारियों की बेहद अहम भूमिका है। नवउदारवादी नीतियों के चलते पहले ही नियमित सरकारी कर्मचारियों की जगह ठेके,अनुबन्ध,पार्ट टाइम,टेम्परेरी आदि तरीकों से भर्तियां हो रही हैं व नियमित रोज़गार पर अघोषित प्रतिबन्ध है। अब सरकार ने पचास साल की आयु पूर्ण करने अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने पर नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट का फरमान जारी कर दिया है जोकि सीधी तानाशाही है।

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखबारिश को वहीं संजोय जहां जहाँ वह पड़े : दसेरन वाटरशेड, सोलन की सफलता की कहानी !
अगला लेखऊना ! मंत्री वीरेंद्र कंवर वीरवार को थाना कलां में ग्रामीण आजीविका केंद्र का शिलान्यास करेंगे।