शिमला नागरिक सभा ने कूड़े,पानी के बिलों,प्रोपर्टी टैक्स को माफ करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन किया !

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शिमला नागरिक सभा ने कोरोना काल के संकट में कूड़े,पानी के बिलों,प्रोपर्टी टैक्स को माफ करने,येलो लाइन के छः सौ रुपये व अन्य पार्किंग शुल्क को एक हज़ार रुपये से घटाने व दुकानदारों से वसूले जाने वाले प्रोपर्टी टैक्स के मुद्दे पर नगर निगम शिमला के बाहर तीन घण्टे तक जबरदस्त प्रदर्शन किया। इसके बाद नागरिक सभा का प्रतिनिधिमण्डल नगर निगम शिमला के आयुक्त से मिला व उन्हें तेरह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। आयुक्त ने कोरोना काल के कूड़े,पानी के बिलों,प्रोपर्टी टैक्स व दुकानदारों के प्रोपर्टी टैक्स को माफ करने का आश्वासन दिया। उन्होंने येलो लाइन व अन्य पार्किंग शुल्क को घटाने का भी आश्वासन दिया। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,कपिल शर्मा,ओंकार शाद,कुलदीप तंवर,संजय चौहान,प्रेम गौतम,बलबीर पराशर,राजीव ठाकुर टुन्नू,फालमा चौहान,सत्यवान,जियानंद,अमित कुमार,विवेक कश्यप,सोनिया,अनिल,रजनी,जगदीश ठाकुर,विशाल सूद,मनीष तलवार,दीवान चन्द,इंद्रजीत ठाकुर,महेश ठाकुर,चरण दास,सुनीता तंवर,विक्की गुप्ता,दलजीत सिंह,चन्द्रकान्त वर्मा,सुरेंद्र बिट्टू,दलीप,मदन,राहुल,भूमित,गगन,गौरव,बालक राम,रविन्द्र चन्देल,सपना,रामलखन,रिम्पल आदि मौजूद रहे।

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नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सचिव कपिल शर्मा ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में मार्च से सितम्बर के छः महीनों में कोरोना महामारी के कारण शिमला शहर के सत्तर प्रतिशत लोगों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से चला गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला ने कोरोना काल में आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुई जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी है। शिमला शहर में होटल व रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया है। इसके कारण इस उद्योग में सीधे रूप से कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गयी है। पर्यटन का कार्य बिल्कुल खत्म हो गया है। इसके चलते शिमला शहर में हज़ारों टैक्सी चालकों,कुलियों,गाइडों,टूअर एंड ट्रैवल संचालकों आदि का रोज़गार खत्म हो गया है। इस से शिमला में कारोबार व व्यापार भी पूरी तरह खत्म हो गया है क्योंकि शिमला का लगभग चालीस प्रतिशत व्यापार पर्यटन से जुड़ा हुआ है व पर्यटन उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है। हज़ारों रेहड़ी फड़ी तहबाजारी व छोटे कारोबारी तबाह हो गए हैं। दुकानों में कार्यरत सैंकड़ों सेल्जमैन की नौकरी चली गयी है। विभिन्न निजी संस्थानों में कार्यरत मजदूरों व कर्मचारियों की छंटनी हो गयी है। निजी कार्य करने वाले निर्माण मजदूरों का काम पूरी तरह ठप्प हो गया है। फेरी का कार्य करने वाले लोग भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। ऐसी स्थिति में शहर की आधी से ज्यादा आबादी को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है।

ऐसी विकट परिस्थिति में प्रदेश सरकार व नगर निगम से जनता को आर्थिक मदद की जरूरत व उम्मीद थी परन्तु इन्होंने जनता से किनारा कर लिया है। जनता को कूड़े के हज़ारों रुपये के बिल थमा दिए गए हैं। बन्द क्वार्टरों के हर महीने के कूड़े व पानी के बिल जबरन मकान मालिकों से वसूले जा रहे हैं। हर माह जारी होने वाले बिलों को चार महीने बाद जारी किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को कूड़े व पानी के बिल हज़ारों में थमाए गए हैं जिस से घरेलू लोग तो हताहत हुए ही हैं परन्तु कारोबारियों,व्यापारियों,जिम्नेजियम,पीजी संचालकों आदि पर पहाड़ जैसा बोझ लाद दिया गया है। शैक्षणिक संस्थानों के बन्द होने के कारण छात्र व अभिभावक ग्रामीण क्षेत्रों को कूच कर चुके हैं व उनके क्वार्टरों पर ताले लटके हुए हैं। जब क़वार्टर ही बन्द हैं व उपभोक्ताओं ने इन सुविधाओं को ग्रहण ही नहीं किया है तो फिर कूड़े व पानी के बिलों को जारी करने का क्या तुक बनता है। इन हज़ारों रुपये के बिलों का भुगतान करने के लिए भवन मालिकों पर बेवजह दबाव बनाया जा रहा है।

मुख्य मांगें –

1. कोरोना काल के कूड़े के बिलों को माफ किया जाए।

2. कोरोना काल के पानी के बिलों को माफ किया जाए।

3. कूड़े व पानी के बिल हर महीने जारी किए जाएं।

4. पीजी,जिम,रेहड़ी फड़ी तयबजारी व छोटे दुकानदारों से हज़ारों रुपाए के कूड़े के बिल वसूलना बन्द किया जाए। उनके बिलों को तर्कसंगत बनाया जाए।

5. हर साल कूड़े व पानी के बिलों में 10% की वृद्धि पर रोक लगाई जाए।

6. अंतिम तारीख के बाद पानी के बिलों में 10% एक्स्ट्रा चार्ज बन्द किये जाएं।

7. चार महीने के इकट्ठे पानी बिल की जगह हर महीने पानी बिल जारी किए जाएं।

8. कूड़े,पानी व प्रोपर्टी टैक्स की दरों में कटौती की जाए।

9. दिल्ली की तर्ज़ पर 20 हज़ार लीटर पानी मुफ्त उपलब्ध करवाया जाए।

10. कूड़े व पानी के निजीकरण की साज़िश बन्द की जाए।

11. नगर निगम की दुकानों,स्टॉलों,गोदामों व अन्य सम्पत्तियों पर लगाए गए प्रोपर्टी टैक्स को वापिस लिया जाए।

12. कोरोना महामारी के दौरान क्वार्टरों में रहने वाले बहुत सारे लोग अपने पुश्तैनी घरों को कूच कर चुके हैं अतः उनकी बन्द रिहाइशों का कूड़े व पानी का बिल मकान मालिकों से न वसूला जाए।

13. येलो लाइन व अन्य पार्किंग शुल्कों में कटौती की जाए।

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