किसानों को कृषि उत्पाद बेचने की खुली आजादी देंगे कृषि सुधार कानून – डॉ मामराज पुंडीर !

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स्रोतडॉ मामराज पुंडीर - राजनितिक शास्त्र प्रवक्ता
डॉ मामराज पुंडीर - राजनितिक शास्त्र प्रवक्ता
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आज विश्व को इन्सान से इन्सान को टच करने से फेलने वाली महामारी ने जकड़ रखा है ।इसलिए भारतीय संस्कृति का प्रतीक नमस्ते को अपनाने के लिए पूरा संसार मजबूर हो गया है और hi और bye जेसी दक्षिणी सोच से भी छुटकारा मिल गया है । परन्तु वर्तमान स्तर के दौरान कृषि के क्षेत्र मे जो बदलाव आयेंगे उनसे दलालों की भूमिका निभाने वाले कुछ दलालों को जरुर बाय मिल जायेगा । इस विषय पर राजनीती भी शुरू हो गई है और क्यों न हो, आखिर वोट बैंक जो खिसक जायेगा । लोकतंत्र खतरे मे है । किसान आतम हत्या करेगा, पूंजीवादी लोग राज करेंगे, जैसे नारों का लगना अब शुरू होगा ।

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परन्तु मेरा प्रशन इन राजनितिक पार्टियों से है कि जिसमे कांग्रेस सहित यूँ कहिये मोदी विरोधी सभी पार्टियां आती है । क्या आप लोग सच मे किसानों के साथ है या आपका वोट बैंक खिसक गया है । आप जबाब नही डोज, जनता भी सचाई से वाकिफ है तभी आप सत्ता से बाहर हो और हालात आगे भी अच्छे नही ।

मोदी सरकार बनने के बाद देश की जनता को कुछ क्रन्तिकारी फैसलों की उम्मीद जागी और जागती भी क्यों न , किसानों से सबंधित बिल तो कांग्रेस के मेनिफेस्टो में भी था । बस आपके पीला से गेंद हडप ली है । अब सिर्फ आप लोग चिल्लाह सकते है । आखिर ऐसा क्या है इस बिल में जिसे केंद्रीय सरकार ने लोकसभ के साथ साथ राज्य सभा मे भी पास करवा दिया है । भल्ले ही शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ दिया हो ।

केन्द्र की मोदी सरकार ने अपनी दूसरी पारी में आखिरकार किसानों को उपज बेचने की आजादी दी है, संविदा खेती का अवसर दिया है। कल लोकसभा में और अब राज्यसभा मे कृषि सुधार के लिए पास हुए दोनों विधेयक किसानों को हक देते हैं कि वे अपनी उपज चाहे मंडी, बाजार जहां चाहें बेचें। इन बिलों को किसानों की समृद्धि का कारक बताते हुए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने लोकसभा में साफ कर दिया है कि अब वक्त आ गया है कि देश के अन्नदाता किसानों को वाजिब मूल्य हर स्थिति में मिले। श्री तोमर ने लोकसभा के पटल से देश के किसानों को आश्वस्त कर दिया है कि उपज की सरकारी खरीदी व न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी था, जारी है और इस बिल के बाद पूर्व की तरह जारी रहेगा। बिल को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट किया है कि यह बिल किसानों को बिचौलियों से मुक्ति देने वाला है। यह देश के किसानों के लिए ऐतिहासिक क्षण है। असल में यह बिल किसानों को विक्रय के और अधिक विकल्प देकर उनको और अधिक सशक्त करेगा।कोरोना संकट के दौरान कृषि सुधार के लिए कल लोकसभा में पास हुए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण विधेयक 2020 और कृषक सशक्तिरण और संरक्षण कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 देश भर में चर्चा में हैं। इन्हें कृषि सुधार की दिशा में मोदी सरकार का क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है। इन्हें किसानों को आर्थिक मजबूती देने वाला बड़ा कदम बताया जा रहा है।

असल में 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार तेजी से काम कर रही है। इन विधेयकों पर कल बहस में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि 2014 से मोदीजी के नेतृत्व में गांव, गरीब एवं किसान आगे बढ़े हैं। यूपीए सरकार के समय में में 12 हजार करोड़ का कृषि बजट था जबकि मोदी सरकार ने खेती और किसानों की परवाह करते हुए इसे बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ का कृषि बजट कर दिया है। हमारी सरकार ने किसानों के खाते में 75 हजार करोड़ दिए। हमने पीएम किसान योजना के जरिए आय संहिता योजना प्रारंभ की और किसानो के खाते में 92 हजार करोड़ रुपए डीवीडी के जरिए किसानों के खाते में जमा कराए हैं। कृषि मंत्री श्री तोमर ने बताया कि किस कदर एफपीओ के जरिए किसानों की उन्नति व समृद्धि का मार्ग तैयार किया जा रहा है। हमने 10 हजार एफपीओ मंजूर किए हैं ताकि उन्हें तकनीकी सहयोग मिल सके। ये एफपीओ 6 हजार 850 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे हैं। मोदी सरकार किसानों को कर्ज देने में भी आगे है। यूपीए ने जहां 8 लाख करोड़ किसानों के कर्ज के लिए दिए थे वहीं मोदीजी ने किसानों के लिए कर्ज दुगुना करते हुए 15 लाख करोड़ मंजूर किए हैं।श्री तोमर ने बताया कि हम जानते हैं कि कोरोना के कारण किसानों के सामने किस तरह के संकट हैं।

हमारी सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज के तहत कृषि अधोसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपए दिए साथ ही 1128 करोड़ रुपए देश भर में सहकारी समितियों को भी दिए।श्री तोमर ने इन उदाहरणों से साफ कर दिया कि मोदी सरकार ने यह पैसा कोरोना संकट के समय एक माह के अंदर फैसला करते हुए दिया इससे सरकार की संवेदनशीलता स्पष्ट है।वे कहते हैं सरकार निरंतर प्रतिबद्ध है कि बुआई का रकबा, उत्पादन, जैविक खेती बढ़े।अपनी बात रखते हुए कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने साफ किया कि मोदी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रति वचनबद्ध है और इस सरकार ने समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना बढ़ाकर इसका प्रमाण भी दिया है। श्री तोमर ने यूपीए सरकार को उलाहना देते हुए कहा कि कृषि विशेषज्ञ स्वामीनाथन की कृषि संबंधी रिपोर्ट मंजूर करने में दस साल के कार्यकाल के बाबजूद यूपीए सरकार पीछे रही जबकि मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को मंजूर करते हुए किसानों को राहत दी। हम मूल्य आश्वासन बिल इसलिए लेकर आए ताकि देश के 86 प्रतिशत छोटे किसानों को भी निवेश का मौका मिले। उनके सामने भी प्रोसेसर, स्टार्टअप के अवसर आएं। इसके लिए किसान और करारकर्ता छोटे छोटे रकबे जोड़कर बड़े क्षेत्र की खेती कर सकते हैं जिससे करारकर्ता और किसान एक दूसरे की आमदनी बढ़ाने में सहभागी होंगे। यह करार किसानों के हक की पहले और मजबूत बात करेगा। उसकी देनदारी कभी भी उसकी जमीन पर नहीं आएगी और न ही उस पर किसी तरह का जुर्माना लगेगा। इसके विपरीत करारकर्ता और व्यापारी अपना दायित्व पूरा न करने पर जुर्माना भरेंगे।

लोकसभा में मूल्य आश्वासन बिल की खूबियां बताते हुए कृषि मंत्री ने कांग्रेस के घोषणा पत्र का पेजवार हवाला देते हुए बिल के विरोध करने वालों पर सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने साफ किया कि इस बिल से संबंधित सुधार जब आपने अपने घोषणा पत्र में शामिल कर रखे थे तो आज सदन में आप इसका विरोध करके अपने संकल्प से क्यों पीछे हट रहे हैं। हम आज जो बिल लेकर आएं हैं वो देश में लायसेंसराज खत्म करेगा। किसान एक राज्य से दूसरे राज्य में उपने उत्पाद और उपज अधिक मुनाफे के लिए बेच सकेगा। ईप्लेटफार्म से किसानों की पहुंच बढ़ेगी। देश की 585 मंडियों में ईप्लेटफार्म के प्रति इतनी लोकप्रियता रही कि अब तक 35 हजार करोड़ रुपए का व्यापार इस पर हो चुका है। कृषि मंत्री तोमर ने साफ कर दिया कि यह बिल किसानों के हाथ खोलेगा, उसकी पहुंच बढ़ाएगा। उसे तीन दिन में उपज का पेमेंट दिलाएगा। किसान जब मनचाही जगह उपज बेचेगा तो उपज के खरीदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, इसमें अधिक व्यापारी काम करेंगे जिससे निश्चित ही रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा। लोकसभा में इस बहस के दौरान कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने स्वामीनाथ रिपोर्ट के साथ किसान नेता शरद जोशी की सिफारिशों का जिस तरह हवाला दिया वो उनकी बात को सदन में मजबूती देने वाला रहा।

तोमर ने बताया कि किन किन बातों को लेकर संघर्षशील किसान नेता जोशी जी लड़ते रहे थे और उन सारी मांगों को ये दोनों विधेयक निर्णायक ढंग से पूरा करने वाले हैं। कुल मिलाकर मोदी सरकार के इन कृषि सुधारों विधेयकों पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जिस गहराई से अपनी बात रखी उससे उनकी गांव के जमीनी किसान नेता व किसानपुत्र छवि सदन में फिर एक बार स्थापित हुई। वे सदन को कृषि मंत्री और एक किसान दोनों रुपों में समझाते दिखे। आसान शब्दों में तर्कपूर्ण जवाबों के साथ विधेयक का पास होना तोमर की निर्णायक सफलता रही। अब देखना ये कि कितनी जल्दी यह विधेयक कानून बनकर देश के किसानों को उपज बेचने की आजादी के साथ उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता देता है। तब तक निश्चित ही देश के किसान इस विधेयक पर हो रही हर चर्चा पर निरंतर ध्यान लगाए रहेंगे।

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