क्या ‘सामूहिक नेतृत्व’ कांग्रेस का जीर्णोद्धार कर सकेगा – देवेंद्र धर !

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फोटो- इंडिया .काम
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वह समय अभी ज्यादा नहीं गुज़रा जब इंदिरा ईज इंड़िया कहा जाता था।आज वो समय है कि कांग्रेस नेतृत्व मे सामुहिकता की बात चल रही है और आज की कांग्रेस वर्किंग कमेटी होने वाली बैठक इसी पर केंद्रीत है। यह प्रश्न बना हुआ है “गांधी नहीं तो कौन” सोनिया,राहुल,प्रियंका ने नेतृत्व संभालना अस्वीकार कर दिया है.

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कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व को लेकर बार-बार सवाल उठते रहे हैं. कि क्या गांधी परिवार के अतिरिक्त भी कोई कांग्रेस का नेतृत्व कर सकेगा या नहीं. इस पर कई बार चर्चा और विवाद भी हुआ है लगातार चुनाव हारने और जनता में अपनी पैंठ खोने से देश की सबसे पुरानी पार्टी व स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी रही लोगों ने लगभग कांग्रेस को नकार दिया है. कांग्रेस की कार्यशैली पर बार-बार सवाल उठ रहे हैं कि क्या अक्षम नेतृत्व कांग्रेसी नैय्या डूबो हो रहा है या गांधी नाम अब लोगों को भाता नहीं है। कांग्रेस की नीतियां व पार्टी के नेता जो भ्रष्टाचार में संलिप्त है या पार्टी कैसे छूट भैया नेता जो पार्टी को बदनाम करने में लगे हुए हैं क्या उनके चलते कांग्रेसी दोबारा अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी. इस तरह के प्रश्न बार-बार कांग्रेश के सामान्य कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच में भटकते नजर आ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की कार्य करने की क्षमता व कांग्रेसी को गांधी परिवार से अन्यथा कोई नेता ना लिखने की वजह से लोगों में काग्रेस की छवि को धक्का लगा है. निसंदेह कांग्रेसका संगठन जो तहस-नहस हो गया है और बिखरा पड़ा है उसे फिर जोड़ने की कसरत करना बहुत जरूरी है ताकि कांग्रेस की आंतरिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके.

राष्ट्रीय स्तर पर लगातार चुनाव के हार से कांग्रेस जन परेशान नजर आ रहे हैं नेता और कार्यकर्ता एक बार फिर जोर लगाकर सत्ता के नजदीक जाना चाहते हैं ऐसी परिस्थितियों में नेतृत्व परिवर्तन की बात जोरों पर चल रही है वह सभी यह मांग कर रहे हैं कि एक पूर्णकालिक कांग्रेस का प्रधान शीर्ष स्तर पर बैठना चाहिए जो कांग्रेस के दैनिक कार्य देखें तो सही दिशा में पार्टी को ले जा सके काफी दिनों से या चर्चा की जा रही थी कि कुशल और सशक्त नेतृत्व भी खांग्रेस की खस्ता हालत को बदल सकेगा और सही दिशा प्रदान कर सके राहुल गांधी सोनिया गांधी सोनिया गांधी राहुल गांधी के सिवा और कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. कांग्रेस में बगावत के चलते राजस्थान और मध्य प्रदेश पार्टी ने कोई सबक नहीं लिया अब कुछ कांग्रेस को संयोजित करने की कवायद आरंभ हो गई है.

कांग्रेस के 34 शीर्ष नेताओं ने 7 अगस्त को सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया कि संगठन में परिवर्तन किया जाएगा एक पूर्ण कालीन नेता की नियुक्ति की जाए जो जो पार्टी के कार्य को विधिवत देख सके इस पत्र पर पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल शशि थरूर गुलाम नबी आजाद पृथ्वीराज चौहान आनंद शर्मा जैसे नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं वह सामूहिक नेतृत्व का गठ बल्कि सामूहिक नेतृत्व मेंन करने की मांग की है. कांग्रेस के एक नेता के अनुसार यह सोनिया गांधी और राहुल गांधी आलोचना नहीं है बल्कि उन्हें इस नृत्य में शामिल करने की बात है सामूहिक नेतृत्व सोनिया गांधी राहुल गांधी से बाहर नहीं है. पिछले 1 वर्ष से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया है इससे पहले राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष बनने से मना कर दी थी हाल ही में शिमला आई प्रियंका गांधी ने भी अपने बयान में कहा कि कांग्रेस का अध्यक्ष कोई गांधी परिवार से बाहर बनना चाहिए 73 वर्षीय सोनिया गांधी अभी तक कांग्रेस को संभाले हुई थी.

पत्र में यह भी मांग की गई है जल्दी ही कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक की जाए और कार्यसमिति इन सब को तय करें. यह सब होने के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गांधी परिवार का योगदान देखते हुए उनके पक्ष में बड़ी मजबूती से. अपना मत प्रस्तुत कर रहे हैं उधर राजस्थान से सचिन पायलट ने भी एकता का संदेश देते हुए राहुल गांधी को एक सक्षम नेता बताया है पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि नेतृत्व की भूमिका में गांधी परिवार एकदम सही है.

सोनिया गांधी ने अपने आप को कहा है कि वे त्यागपत्र दे रही हैं ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आज सोनिया गांधी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में त्यागपत्र देकर सामूहिक नेतृत्व के रास्ते को प्रशस्त करती हुई विस्तृत चर्चा में भाग लेंगी. देखना यह होगा कि आज कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक का निर्णय ले पाती है क्या सामूहिक नेतृत्व कांग्रेस की ओर होली कर सकेगी और और कांग्रेस के लिए नया रास्ता प्रशस्त करेगी

आज कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है शायद अगर कांग्रेसका कुनबा कुछ कमला तो कम से कम एक सशक्त विपक्ष देश के सामने खड़ा हो सकता है !

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