चम्बा/भरमौर ! मणिमहेश कैलाश के लिए हुआ आखिरी पवित्र छड़ी का प्रस्थान।

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चम्बा ! मणिमहेश कैलाश के लिए आखिरी पवित्र छड़ी का प्रस्थान हुआ। बताते चले कि वैसे तो इस पवित्र यात्रा के दौरान सैकड़ो की संख्या में लोग इस छड़ी के साथ चलते हुए अपने को धन्य पर इस बार क्रोना महामारी के कारण कई भगतवतसल्य लोग इस धर्मिक कार्य में अपनी भागेदारी नहीं निभा सके। बता दे कि लोगों की संख्या कम होने के बाबजूद भी पुरे धार्मिक रस्मों को निभाते हुए बाबा चर्पटनाथ जी की इस छड़ी को निकाला गया।

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नो नाथों में एक नाथ बाबा चर्पटनाथ जो कि बाबा भोले नाथ जी के सबसे प्रिय भक्तों में से एक थे जिनकी कीर्ति को सारी दुनिया मानती है। बताते चले कि मणिमहेश कैलाश मानसरोवर की खोज बाबा चर्पटनाथ ने ही की थी और भगवान शिव ने प्रसन्न हो कर बाबा चर्पटनाथ को अपना त्रिशूल देते हुए उनसे यह वायदा भी लिया था कि राधाष्टमी के दिन तुम्हे यह त्रिशूल लेकर मणिमहेश आना होगा। बाबा चर्पटनाथ के पुजारी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रथा चम्बा के राजा साहिल वर्मन के समय काल से पिछले एक हजार वर्ष पहले से चली आ रही है। और इस ऐतिहासिक परम्परा का निर्भहन हमारे पूर्वज करते आ रहे है और मणिमहेश डलझील में स्थापित चौमुखी भगवान भोले की मूर्ति पूजा अर्चना के स्नान के साथ ही इस पवित्र यात्रा का समापन होता है। उन्होंने बताया कि यह छड़ी पिछले कल चम्बा के जुलाहकड़ी कृष्ण मंदिर तक पहुंची थी और आज यह सांय को चौरासी भरमौर में रुकने के बाद 25 अगस्त को मणिमहेश डलझील पहुंचेगी और 26 अगस्त को शाही स्नान के उपरांत ही वापिस लौटेगी।

वैसे तो इस प्राचीन देव भूमि चम्बा में हर महीने कोई न कोई तयौहार या फिर मेले का आयोजन होता ही रहता है पर मणिमहेश कैलाश भोले से जुडी लोगों की आस्था देखते ही बनती है। इस बारे लोगों ने बताया कि मणिमहेश कैलाश की और प्रस्थान करने वाली इस छड़ी का इतिहास सदियों पुराण है। इन लोगों ने बताया कि यंहा से दो छड़िया मणिमहेश के लिए हर साल निकलती है एक छड़ी दसनामी अखाड़े से तो दूसरी बाबा चर्पटनाथ के शाही स्थान चम्बा से निकलती है। इन लोगों ने बताया कि बाबा चर्पटनाथ जी चम्बा के राजा के गुरु थे और यह छड़ी जब यंहा से निकलती है तभी यह मेला शुरू होता है। और इस छड़ी के शाही स्नान के साथ ही यह मेला समाप्त होता है। यंहा के अन्य प्रबुद्ध लोगों ने बताया कि इस बार क्रोना को लेकर काफी लोगों हतास हुए है। उन्होंने बताया कि इस बार चाहे अंतर्राष्ट्रीय मिंजर का मेला हो या फिर मणिमहेश की पवित्र यात्रा सब कुछ फीका ही देखने को मिला। इसको लेकर लोग अब अगले साल में आस लगारहे है कि भगवान करे अगले साल यह सब कुछ ठीक से हो और आस्था रखने वाले लोग इस मणिमहेश की यात्रा को ठीक से कर सके।

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