शिमला ! जंगलों, झीलों, नदियों, वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें – मौलिक कर्तव्य !

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शिमला ! भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के अनुसार, यह भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह जंगलों, झीलों, नदियों, वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करें तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखें ।

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इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्राकृतिक पर्यावरण को बेहतर और सुंदर बनाने तथा भोजन उपलब्ध करवाने के लिए पंचायतों के साथ लगते वन क्षेत्रों में जंगली फल देने वाले पेड़/झाड़ियाँ लगाने का विशेष अभियान “जंगली फल लगाओ, फसलों को बचाओ” के नारे के अंतर्गत पूरे प्रदेश में प्रारम्भ किया है जिससे फलदार बागों/फसलों/खेतों/खेती योग्य भूमि को जंगली जानवरों/पक्षियों आदि द्वारा नष्ट किए जाने से बचाया जा सके ।

इसी के अंतर्गत आज माननीय न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने जिला विधिक सेवा, शिमला द्वारा आयोजित एक विशेष वृक्षारोपण अभियान का शुभारम्भ किया और जिला शिमला में ग्राम बनोटी और ग्राम बाग (टूटीकंडी) में वन विभाग, पीआरआई आदि के सहयोग से 300 से अधिक जंगली पौधे जिसमें की आंवला, फेगड़ा, खड़क, चूली, दाडु, जामुन, कचनार, नाख, अंजीर, शहतूत, अखरोट आदि लगाए गए हैं।

इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान नें कहा कि पूरे प्रदेश में जंगली फल देने वाले पेड़ों के रोपण के लिए पंचायतों, पंचायत सदस्यों, महिला मंडल, युवक मंडल, गैर सरकारी संगठनों आदि की पहचान की जा रही है और आवश्यक संख्या में पौधों को डीएफओ के साथ समन्वय में पंचायतों को उपलब्ध करवाया जा रहा हैं । स्कूलों के खुलने पर अगले सत्र में स्कूली बच्चों को वृक्षारोपण अभियान के साथ जोड़ा जाएगा।उक्त अभियान को पूरे हिमाचल प्रदेश में प्रारमभ किया गया है और पीआरआई, महिला मंडल और प्लांटेशन से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।

राजीव भारद्वाज जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला, श्री प्रेम पाल रांटा सदस्य सचिव, श्री आर.के. गुप्ता सीसीएफ शिमला, श्री सुशील राणा डीएफओ शिमला, न्यायिक अधिकारी, वन अधिकारी, पीआरआई और स्थानीय निवासी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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