बददी ! नालागढ सामुदायिक अस्पताल भी बढती आबादी के मददेनजर अब छोटा पडने लगा है। यह ऐसा अस्पताल है जहां नालागढ-चंगर के अलावा दून का कुछ हिस्सा इसकी सेवाएं लेता है। बढती आवादी व औद्योगिक विकास के बीच यहां प्रवासी लोगों की आवक भी बहुत ज्यादा हुई है। आज नालागढ़ अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ काफी दिन के बाद आई तो गर्भवती महिलाओं को उनको दिखाने के लिए काफी होड मची रही। सोशल डिस्टेसिंग की तो मानो वहां कोई चीज हो ही नहीं। अमीर व साधन संपन्न लोग तो निजी अस्पतालों में प्रसव करवाने को प्राथमिकता देते हैं लेकिन आम समाज व प्रवासी वर्ग के लिए यही एक सरकारी अस्पताल का सहारा है। गर्भवती महिलाएं यहां पर मासिक चैक अप व तथा प्रसव करवाने के यहां आती है तो उनको अपनी बारी का इंतजार तपती गर्मी में करना पडता है। एक तो पहले ही वो अपनी गोद में आने वाले बच्चे का बोझ लिए होती है उपर से भारी गर्मी व लाईनों में लगने का झंझट। यह सब इसलिए होता है कि क्योंकि यहां पर एकमात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ है और उसके उपर लगभग 100 महिलाओं के परीक्षण करने का भारी भरकम जिम्मा। 8 घंटे की डयूटी में इतने मरीजों को चैक करना किसी भी डाक्टर के लिए एक युद्व से कम नहीं है। वक्त के लिहाज व बढती आबाद के मददेनजर यहां पर दो डाक्टरों की बहुत ही ज्यादा जरुरत है। न जाने प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग यहां कब ध्यान देंगे।
काफी दिन बाद आई चिकित्सक इसलिए भीड़ : बीएमओ
इस विषय बीएमओ नालागढ़ केडी जस्सल ने कहा कि हम सोशल डिस्टेंसिग का पूरा ख्याल रखते हैं। लेकिन संबधित महिला डाक्टर कोविड के कारण कुछ दिन अवकाश पर थी। वो काफी दिन बाद आई उपर से दो छुटिटयां थी इसलिए आज गर्भवती महिलाओं का चैकअप करवाने के लिए भीड थी। आशा है एक दो दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग से सजगता से कार्य कर रहा है।