शिमला ! डॉ परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे – मुख्यमंत्री !

0
2283
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

शिमला ! मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां पीटरहॉफ में आयोजित एक सरल लेकिन प्रभावशाली समारोह में आधुनिक हिमाचल प्रदेश के वास्तुकार और राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ Y.S परमार को उनकी 114 वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की। समारोह की अध्यक्षता करते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि डॉ परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने इस पर्वतीय राज्य की अपनी अलग पहचान को बनाए रखने के लिए सभी बाधाओं के माध्यम से राज्य का नेतृत्व किया । उन्होंने कहा कि डॉ परमार द्वारा रखी गई ध्वनि नींव ने यह सुनिश्चित किया है कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य पर्वतीय राज्यों के लिए रोल मॉडल बने।

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल प्रदेश के साथ मिलाने की वकालत की, जिनकी संस्कृति और जीवन शैली समान थी । उन्होंने कहा कि डॉ परमार का यह विजन था कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र ने तेजी से प्रगति की । उन्होंने कहा कि डॉ परमार एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपनी सादगी और धरती से नीचे की प्रकृति के कारण प्रदेश के लाखों-लाख लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि डॉ परमार के अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18वां राज्य बना और तब से इसने तेजी से विकास और समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाया है । जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को विकसित, समृद्ध और रोल मॉडल राज्य बनाकर स्वर्गीय डॉ वा र्द्र परमार के सपने को साकार करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि डॉ परमार एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने एक ऐसे राज्य की कल्पना की, जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्ध होने का अवसर मिले । उन्होंने कहा कि डॉ परमार को राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने सम्मान किया।

उन्होंने कहा कि इससे पहले इस दिन को विधानसभा के एक छोटे से पुस्तकालय हॉल में मनाया गया था और पिछले साल उनके द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि इस अवसर को करारा तरीके से मनाया जाए । उन्होंने कहा कि तब से जयंती इस तरह से मनाई जा रही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ परमार जानते थे कि इस पहाड़ी राज्य के विकास के लिए सड़कें जीवन रेखा हैं, इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डॉ परमार भी नकदी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि डॉ परमार की प्रेरणा पर ही लोगों ने सेब उगाना शुरू किया जो आज 5000 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि डॉ परमार के विजन के कारण ही हिमाचल प्रदेश ने अपनी वन संपदा की रक्षा करते हुए रखा। जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास और प्रगति की दिशा में अपार योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार भी सशक्त, जीवंत व आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश के डॉ परमार के सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य के 50वें वर्ष को करारा तरीके से मनाने का निर्णय लिया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह संभव नहीं हो सका। इससे पहले मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर में डॉ परमार को पुष्पांजलि अर्पित की, जहां उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष और डिप्टी स्पीकर विधानसभा, नेता प्रतिपक्ष, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी, विधायक, पूर्व विधायक आदि शामिल हुए। विधानसभा अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश विधानसभा विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश आज रोल मॉडल के रूप में उभरा है और डॉ परमार द्वारा रखी गई सुदृढ़ नींव के कारण प्रगति और समृद्धि के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ परमार ने केंद्र को यह एहसास कराया कि पहाड़ी राज्य की विकासात्मक जरूरतें देश के अन्य राज्यों से अलग हैं। उन्होंने कहा कि डॉ परमार ने राज्य का समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए सड़कों के निर्माण, बिजली उत्पादन और बागवानी और कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि डॉ परमार को राज्य और यहां के लोगों की संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली के बारे में गहराई से जानकारी है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का सफर दरअसल डॉ वा द्रा परमार की मेहनत का सफर था।

उन्होंने कहा कि डॉ परमार ने जीवन की सारी विलासिता छोड़ दी और इस पहाड़ी राज्य की अलग पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष का रास्ता चुना। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी, 1971 वास्तव में हिमाचल प्रदेश के इतिहास में लाल अक्षर दिवस था क्योंकि यह डॉ परमार के परिश्रम और कड़ी मेहनत के कारण था कि हिमाचल प्रदेश को राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान मिली। उन्होंने डॉ परमार की जयंती को माकूल तरीके से आयोजित करने में प्रदेश सरकार के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार अधिनियम में भी डॉ परमार का सबसे बड़ा योगदान था। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डॉ परमार एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने इस पहाड़ी राज्य के विकास के लिए कई प्रगतिशील योजनाएं बनाईं । प्रदेश की स्थलाकृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डॉ परमार ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनके सक्षम नेतृत्व में ही हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिला। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक कठिन काम था क्योंकि पंजाब के ज्यादातर नेता हिमाचल के पंजाब में विलय के पक्ष में थे।

इस अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा निर्मित डॉ वा.एस. परमार के जीवन की एक वृत्तचित्र भी दिखाई गई। डॉ ओमप्रकाश शर्मा ने हिमाचल प्रदेश को एक अलग पहचान दिलाने में डॉ परमार के जीवन और योगदान पर एक पेपर प्रस्तुत किया। कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैगल, डिप्टी स्पीकर विधानसभा हंसराज, विधायक कर्नल। इस अवसर पर धनी राम शांडिल, इंदर सिंह गांधी, विनय कुमार, विक्रमादित्य सिंह, आशीष बुटेल, मुल्खराज प्रेमी, बलबीर सिंह, अरुण कुमार, रीना कश्यप व विशाल नेहरिया, मेयर शिमला नगर निगम सत्या कौंडल, मुख्य सचिव अनिल खाची, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, सचिव जीएडी देवेश कुमार, उपायुक्त अमित कश्यप, निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क हरबंस सिंह ब्रास्कॉन व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखमुख्यमंत्री ने 22 वर्षीय मुस्कान जिंदल को आईएएस अधिकारी बनने पर बधाई दी !
अगला लेखराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने डाॅ. परमार को पुष्पांजलि अर्पित की !