शिमला ! आईजीएमसी में सहायक प्रोफेसर डॉ. शिखा ने फिर रचा इतिहास !

लीवर की आरटरी की क्वाइलिंग करके मरीज को दी नई जिंदगी

0
7695
फाइल चित्र
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

शिमला ! इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के रेडयोलॉजी विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डा. शिखा सूद ने एक बार फिर इतिहास रचा है। इस बार उन्होंने जिला शिमला के कोटखाई के बगदा से आए 66 साल के अमर सिंह को हपैटिक आरटरी की क्वाइलिंग करके नई जिंदगी दी है। यह उपचार पहली बार आईजीएमसी में हुआ है। अमर सिंह की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुंरत उसका सीटी स्कैन एवं अल्टासाउंड किया गया जिसमें इस बीमारी का पता चला कि उसकी पित की थैली में तीन सेंटीमीटर की पत्थरी है जो पित की थैली को चीरती हुई पित की नली में फंस गई है !

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

यही नहीं इसके साथ ही पत्थर ने साथ ही पड़ी हपैटिक आरटरी को भी चीर दिया जिसके कारण मरीज की हालत गंभीर हुई और उसे सूडोएन्यूरिज्म हो गया। ऐसी गंभीर अवस्था में मरीज में खून नसों से बाहर एकत्रित हो जाता है तथा किसी भी समय फट जाने से मरीज की मौत होने की आशंका बढ़ जाती है।

ऐसी स्थिति में मरीज का आपरेशन नहीं किया जा सकता। हिमाचल प्रदेश के लिए और इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज के लिए यह गर्व की बात है कि डा. शिखा पहली ऐसी डाक्टर हैं जिन्होंने हाल ही में एम्स न्यू दिल्ली में इंटरवेंशन रेडयोलॉजी में प्रशिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने गैस्टोइन्टैस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप की है। यहां आईजीएमसी में पुन: कार्यभार संभालने के बाद डा. शिखा ने विभाग में हार्डवेयर की व्यवस्था करवाई और इस मरीज का उपचार करके उन्हें नई जिंदगी दी। यहां बता दें कि डा. शिखा इसके अलावा अन्य कई और तरीके के इंटरवेशनस कर रही है जो कि प्रदेश के उच्चतम शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पहली मर्तबा हो रही है।

डा. शिखा सूद अभी तक कई मरीजों का उपचार बिना चीर फाड़ के कर चुकी हैं। उन्होंने मरीज की टांग की नस से जाते हुए हपैटिक आटरी तक पहुंच कर सूडोएन्यूरिज्म को मेन आरटिरयल फलो से अलग कर दिया। साढ़े चार घंटे तक चला यह आपरेशन पूरी तरह सफल रहा…। डा. शिखा ने बताया कि उपचार के दौरान मरीज पूरी तरह होश में था और सामने रखे मॉनिटर में स्वयं का आॅपरेशन होता देख रहा था। यहां तक मरीज डा. शिखा द्वारा दी गई वरबल कमांडस को भी फॉलो कर रहा था। डा. शिखा ने बताया कि आरटीज की क्वाइलिंग शरीर के किसी भी हिस्से में जहां कहीं भी डोएन्यूरिजम बन गया हो, की जा सकती है…। यह सूडोएन्यूरिजम टयूमर, टामा, इन्फेक्शन या इनफलेमिशन के कारण बन सकते हैं।

डा. शिखा ने बताया कि मरीज अब एक दम स्वस्थ है और चल फिर भी रहा है। मरीज ने स्वयं भोजन करना आरंभ कर दिया है । उन्होंने बताया कि सर्जन को अब बता दिया गया है कि उनके द्वारा मरीज की बीमारी को खत्म कर दिया गया है और अब वह उसकी सर्जरी कर सकते हैं। गौरतलब है कि डा. शिखा सूद ने हाल ही में इससे पहले भी मरीजों को नई जिंदगी दी है, उन्होंने पीटीबीडी विद इन्जरनेलाइजेशन करके भी आईजीएमसी में एक नया कीतीर्मान स्थापित करते हुए नए तरीके के आॅपरेशनों का दौर आरंभ कर दिया है। उन्होंने बताया कि मरीज के उपचार के दौरान उन्होंने अपने दो जूनियर डाक्टर्स डा. आबोरेशी और डा. राजेश को इस बीमारी को लेकर पूरा ज्ञान दिया और मरीज को हुई बीमारी को लेकर विस्तार से पढ़ाया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ आॅपरेशन थियेटर में नर्स सुनीता रेडयोग्राफर तजेन्द्र भी मौजूद रहे। डा. शिखा ने बताया कि ऐसे मरीजों को अब पीजीआई या एम्स जाने की जरूरत नहीं होगी।

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखशिमला ! ग्रामीण क्षेत्रों में सही ढंग से स्वछ पेयजल उपलब्ध न करवाए जाने पर गहरा रोष – हिमराल !
अगला लेख!! राशिफल 05 अगस्त 2020 बुधवार !!