शिमला ! कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि पर गंभीर चिंता – मार्क्सवादी !

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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) पिछले कुछ दिनों से प्रदेश व शिमला में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है तथा हाल ही में भा ज पा से जुड़े एक संगठन के द्वारा शिमला में कोरोना महामारी से मुक्ति के लिये करवाए गए यज्ञ में मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री ने उपस्थित होकर उसमे कोविड19 से निपटने के लिए सरकार द्वारा तय किये गए कानून व नियमों की धज्जियां उड़ाने की कड़ी निंदा करती हैं। इस कार्यक्रम में कोरोना महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जिस प्रकार से अवैज्ञानिक, अतार्किक व पुरातन समझ का बयान दिया गया है वह हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य, जो देश के सबसे शिक्षित राज्यों में दूसरे पायदान पर है, के मुख्यमंत्री से कदापि अपेक्षित नहीं है। क्योंकि भारत के संविधान के अनुसार किसी भी चुनी हुई सरकार का उत्तरदायित्व है कि वह समाज में पिछड़ी चेतना को रोककर वैज्ञानिक व अग्रणी चेतना का प्रवाह करे ताकि देश व प्रदेश एक प्रगतिशील पथ पर अग्रसर हो। इसलिए सरकार अपने वैधानिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर जो भी इस आयोजन के दौरान कोविड19 के लिए निर्धारित कानून व नियमों की उलंघना के लिए जिम्मेवार है उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए तथा मुख्यमंत्री को पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए वहां कोरोना महामारी से निपटने के लिए अवैज्ञानिक व अतार्किक बयान को वापिस ले। यह इसलिए भी आवश्यक है ताकि जनता का देश के लोकतंत्र, कानून व सरकार में विश्वास बना रहे।

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पिछले कुछ दिनों जबसे सरकार ने अनलॉक की प्रक्रिया अपनाते हुए प्रदेश में प्रवेश की प्रक्रिया को सरल किया है तबसे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। जिन जिलों में पहले कोरोना संक्रमण के मरीज नही थे या इनकी संख्या बिल्कुल कम थी वहां भी संक्रमित मरीजों की संख्या में यकायक वृद्धि हो गई है। जिसका जीता जागता उदाहरण पिछले 3-4 दिनों से शिमला में देखा गया है और इसके कारण दो स्थानों बालूगंज व माल रोड पर कॉफी हाउस को प्रशासन के द्वारा सील किया गया है यह अत्यंत चिंता का विषय है। इससे शहरवासियों में काफी डर का माहौल पैदा हो गया है।

प्रदेश सरकार कोविड19 को लेकर आरम्भ से ही कोई ठोस रणनीति बना कर कार्य नहीं कर रही है। सरकार नित नए आदेश जारी कर कोविड19 के लिए तय नियमों में बदलाव कर रही है जिससे प्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसी विषम परिस्थिति में सरकार द्वारा प्रदेश को क्वारंटाइन डेस्टिनेशन बनाने के चौंकाने वाले अतार्किक बयान ने तो सबको असमंजस में डाल दिया था। अब सरकार ने पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों के विरोध के बावजूद कुछ विचित्र शर्तों के साथ पर्यटकों को प्रदेश में आने की छूट दे दी है। सरकार का यह निर्णय भी सवालों के घेरे में है जब कारोबारी इस स्थिति में नहीं चाहते कि पर्यटन व्यवसाय प्रदेश में आरम्भ किया जाए तो सरकार क्यो जल्दबाजी में निर्णय ले रही हैं!

अब प्रदेश में अनलॉक की प्रक्रिया आरम्भ होने के पश्चात से ही सरकार व प्रशासन की ढीली कार्यप्रणाली के कारण बहुत से लोग बिना इजाजत या पंजीकरण के ही प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं और बिना क्वारंटाइन के खुलेआम घूम रहे हैं और प्रशासन इस पर आँख मूंदे बैठा रहता है। सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान क्वारंटाइन के लिय उचित व्यवस्था के अभाव व कोविड19 से निपटने के लिए जो अन्य बुनियादी तैयारियां जिनमे मुख्यतः स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ न करने के कारण भी आज प्रदेश में कोविड19 से निपटने में सरकार पूर्णतः विफल रही है। जिसके कारण लोग आज क्वारंटाइन होने से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं और सरकार व प्रशासन इसके लिए बिल्कुल भी सजग नहीं है। यदि सरकार कोविड19 से निपटने के लिए सजगता से कार्य नहीं करती और अपनी इस प्रकार से लचर कार्यप्रणाली पर अंकुश लगा कर इसमें सुधार नहीं करती तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश में भी कोरोना महामारी एक भयानक रूप ले लेगा।

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