करसोग ! उपमंडल करसोग में आज नगर पंचायत करसोग के वार्ड नंबर 7 ममेल के ग्रामीणों ने अपनी आपत्तियां नगर पंचायत के कार्यालय के माध्यम से उपायुक्त मंडी के लिए भेजी गई । आपको बता दें कि कुछ दिन पहले उपायुक्त मंडी ने डीलिमिटेशन प्रक्रिया की सूचना निकाली थी जिसका समय सूचना के 10 दिन के अंदर ग्रामीणों से सुझाव व आपत्तियों के बारे में लिखा गया था । इसी डीलिमिटेशन की प्रक्रिया के अंतर्गत आज ममेल गांव के ग्रामीणों ने अपनी आपत्तियां तहसील व नगर पंचायत के कार्यालय में जमा करवा दी है । आरुणया फाउंडेशन के प्रधान संदीप ठाकुर ने कहां की ममेल नगर पंचायत करसोग में नहीं आना चाहता है तथा हमने उपायुक्त मंडी के आदेशानुसार अपनी आपत्तियां आज कार्यालय में जमा करवा दी हैं तथा हमारी फाउंडेशन तथा समाजसेवियों के प्रयत्नों से अपनी बार्ड की आपत्तियों को 10 दिन के भीतर ही आज कार्यालय में जमा करवा दिए है ।
क्या है मामला
नगर पंचायत करसोग के गठन से लेकर अभी तक ममेल वार्ड के बशिंदे नगर पंचायत में ममेल वार्ड को शामिल करने का विरोध जताते आ रहे हैं तथा उन्हें नगर पंचायत करसोग से बाहर करने के लिए नगर चुनावों का बहिष्कार करते हुए विरोध का झंडा उठाए हुए हैं। पूर्व कांग्रेसी सरकार के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा वर्तमान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर द्वारा भी नगर पंचायत से बाहर करने का आश्वासन दिया गया, संबंधित फाईल पर दोनों मुख्यमंत्री ममेल को नगर पंचायत से बाहर करने संबंधी लिखित आदेश भी कर चुके हैं परंतु संबंधित विभाग ने सालों बीतने बाद भी ममेल वासियों को कागजी औपचारिकता में ही उल्झा कर रखा हुआ है तथा नगर पंचायत से ममेल बाहर नहीं हुआ है। जिसके चलते ममेल वासियों ने अब सरकार को दो टूक सुनाते हुए कहा है की, खुशामद बहुत हो गई अब ममेल के लोगों को मांग के अनुसार नगर पंचायत करसोग से बाहर नहीं किया गया तो आगामी लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का बिगुल बजा दिया जाएगा फिर चाहे जो भी भुगतना पड़े। इस बारे ममेल निवासी गोपाल शर्मा, समाजसेवी तनुज शर्मा, संदीप कुमार अधिवक्ता, संदीप ठाकुर प्रधान आरुण्या फाउंडेशन, जानकारी देते हुए बताया कि जिस दिन से नगर पंचायत करसोग का गठन हुआ है उसी दिन से ममेल निवासी विरोध जताते हुए मांग कर रहे हैं कि उन्हें नगर पंचायत से बाहर किया जाए क्योंकि ममेल गांव की श्रेणी में आता है तथा अनेकों निर्धन परिवार नगर पंचायत की शर्तों को तथा उसके खर्च को उठाने के लिए सक्षम नहीं है तथा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ममेल के लोग नगर पंचायत वाली छत के नीचे आना ही नहीं जाते हैं जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री भी स्पष्ट कह चुके हैं कि जो लोग नगर पंचायत में नहीं आना चाहते हैं उन्हें बाहर किया जाएगा। बावजूद इसके ममेल वासियों की बात को आश्वासन के सिवाय कुछ भी महत्त्व नहीं दिया जा रहा। बताया गया कि ममेल के लोग पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास इस मांग को लेकर पहुंचे तो उन्होंने ममेल को नगर पंचायत से बाहर किए जाने संबंधी आदेश किए जिनको सरकारी कान ने सुना नहीं और कोई गौर नहीं हुआ, जबकि वर्तमान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास भी ममेल के लोग गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें नगर पंचायत से बाहर किया जाए जिसके चलते मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी उनकी इस मांग पर अपनी स्वीकृति वाली मोहर लगाते हुए फाईल पर स्पष्ट लिखा है कि नगर पंचायत के दायरे से ममेल को मांग के अनुसार बाहर किया जाए परंतु सरकारी अधिकारी उस पर कोई गौर फरमाने को तैयार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हाल ही में ममेल से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के सामने स्थानीय विधायक हीरालाल भी अनापत्ति प्रमाण पत्र देते हुए सहमति जता चुके हैं कि में ममेल को नगर पंचायत करसोग से बाहर कर दिया जाए परंतु सरकारी कागज ममेल के लोगों को कोई सहयोग नहीं दे रहे हैं। इतनी मशक्कत करने के बावजूद भी आम जनता की नहीं सुनी गई तो भविष्य में वह लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे तथा नगर पंचायत के चुनाव का भी बहिष्कार जारी रखेंगे।