हिमाचल ! सेब बगीचों में फैल रही विभिन्न प्रकार की बीमारियां एक चिंता का विषय – किसान सभा !

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सांकेतिक चित्र
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हिमाचल किसान सभा प्रदेश में सेब बगीचों में फैल रही विभिन्न प्रकार की बीमारियों जिनमे मुख्यतः सकैब, असमायिक पतझड़ (मरसोनीना व अल्टरनेरिया), माईट, वूली एफिड आदि के प्रकोप पर गंभीर चिंता व्यक्त करती हैं तथा प्रदेश सरकार से मांग करती है कि इन बीमारियों की रोकथाम के लिए तुरन्त युद्धस्तर पर ठोस कदम उठाए। यदि समय रहते इन बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकार कदम नहीं उठती है तो सकैब जैसी बीमारी महामारी का रूप ले सकती है और सेब की करीब 4500 करोड़ की अर्थव्यवस्था को चौपट कर देंगी। सरकार तुरंत बागवानी विभाग व बागवानी विश्विद्यालय को दिशानिर्देश जारी करे कि प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत विशेषज्ञ की टीमें भेज कर इनकी रोकथाम हेतू बागवानों का सहयोग करें तथा इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक सभी प्रकार के फफूंदीनाशक व कीटनाशक तथा अन्य संसाधन पर्याप्त मात्रा मे उपदान पर बागवानों को उपलब्ध करवाये।

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प्रदेश के लगभग सभी सेब बहुल जिलों जिनमे शिमला, कुल्लू, मंडी, किन्नौर आदि में इन बीमारियों का प्रकोप बगीचों में बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। इसका मुख्य कारण इस वर्ष बेमौसमी वर्षा व सरकार द्वारा प्रदेश में बागवानी के लिए लागू की जा रहीं लचर नीतियां है। इन नीतियों के कारण सरकार बागवानी विकास के क्षेत्र में अपना योगदान निरन्तर कम कर रही है तथा बागवानी विभाग व विश्विद्यालय को सुदृढ़ करने के बजाय कमजोर किया जा रहा है। जिसके कारण बागवानों को समय रहते सही जानकारी न देना तथा इसके साथ साथ निर्धारित समयसारिणी के अनुसार फफूंदीनाशक व कीटनाशक भी समय रहते बागवानों को उपलब्ध न करवाना रहा है। आज प्रदेश के अधिकांश बगीचों में सकैब, असामयिक पतझड़(मरसोनीना व अल्टरनेरिया), माईट, वूली एफिड का प्रकोप दिखाई दे रहा है और बागवान इससे बेहद परेशान हैं। इससे पहले प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर सकैब का प्रकोप वर्ष 1982 के बाद देखा गया था।

यदि सरकार समय रहते इसकी रोकथाम के लिए कदम नहीं उठती तो सेब की आर्थिक को बड़ा नुकसान होगा तथा बागवानों को रोजी रोटी का संकट हो जाएगा। जिससे इस संकट काल मे प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित होगी।

इस गम्भीर परिस्थिति को देखते हुए हिमाचल किसान सभा सरकार से मांग करती है कि सकैब व अन्य बीमारियों से निपटने के लिए तुरंत युद्धस्तर पर ठोस कदम उठाए तथा इसको महामारी का रूप लेने से पूर्व इस पर रोकथाम लगाई जाए। प्रदेश के सभी प्रभावित जिलों में विशेषज्ञों की टीमें बगीचों में भेजी जाए तथा बागवानों को उपदान पर आवश्यक सभी प्रकार के गुणवत्ता वाले फफूंदीनाशक व कीटनाशक बागवानी विभाग के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाए । ताकि बागवान विशेषज्ञों की सलाह पर तुरंत छिड़काव कर इन बीमारियों को महामारी का रूप लेने से पहले रोकथाम कर इस सेब की अर्थव्यवस्था को चौपट होने से बचा सके। यदि सरकार इन मांगों पर शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठती तो किसान सभा बागवानों को लामबंद कर आंदोलन के लिए विवश होगी।

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