मंडी ! वैश्विक कोरोना महामारी में जहां एक ओर फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा दिन रात आम जनता की सेवा करने में जुटे हुए हैं। तो वहीं दूसरी ओर सरकार के आश्वासनों के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज में तैनात सफाई कर्मचारियों को काटकर वेतनमान दिया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि सरकार की ओर से जो ईपीएफ देने का ऐलान किया था। ईपीएफ के नाम पर उक्त कर्मचारियों के खाते में एक पैसा भी नहीं आया है। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक वर्ग एवं दलित समाज वर्ग के जिला संयोजक चमन राही ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां एक ओर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और पैरामेडिकल सहित सफाई कर्मचारियों की हौसला अफजाई के लिए सरकार को उनके खाते से पैसे काटने की बजाए उन्हें प्रोत्साहन के रूप में सफाई कर्मचारियों को जहां काटकर ₹4000 दिया जा रहा है। वहां उनको ₹15000 प्रति महीना देने की सरकार से मांग की है और कहा है कि सरकार ने जो वायदा किया है कि ऐसे सफाई कर्मचारियों के खाते में सरकार ईपीएफ डालेगी तो वह घोषणा भी सरकार जल्द से जल्द पूरी करें ।
अन्यथा ऐसे मौके में उक्त कर्मचारियों के साथ सीधे तौर पर छलवा हो रहा है। उन्होंने कहा कि या वर्ग इस महामारी के आक्रमण से ग्रस्त लोगों के साथ सीधे संपर्क में है और अस्पताल मेडिकल कॉलेज परिसर को साफ सुथरा रखना स्थाई कर्मचारियों के कंधे पर है । लेकिन जिस तरह से मेडिकल कॉलेजों का जिम्मा निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा गया है । निजी कंपनियों की मनमानी इस कोरोना काल में सफाई कर्मचारियों और अन्य वर्ग के कर्मचारियों पर भारी पड़ती नजर आई है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी जिन तीन कंपनी को दी है उनके खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने की मांग की है। वही राही का कहना है कि जिस तरह से एएसपी मंडी और जोनल अस्पताल से बाल रोग विशेषज्ञ का तबादला किया गया है । यह सरकार ने दलित विरोधी निर्णय लिया है और उसे बदले की भावना से कार्य करना करार दिया है और सरकार से मांग की है कि उक्त तबादले तत्काल प्रभाव से जनहित में रद्द करें।