करसोग ! आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पर आज गुरु पूर्णिमा का पर्व कोरोनाकाल के चलते सादगी से मनाया जा रहा है। शिष्य घरों पर गुरु वंदना करे रहे हैं, जबकि आश्रम, मंदिर व अन्य धार्मिक संस्थानों में शारीरिक दूरी बनाकर पूजा की गई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ की इस पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
करसोग के मंदिर लयाड में गुरु पुर्णिमा महोत्सव विश्व शान्ति यज्ञ से मनाया गया । उमेश शर्मा ने कहा कि गुरु एक सेतु है जो ज्ञान और शिष्य को जोड़ता है। एक गुरु अपने ज्ञान रूपी अमृत से शिष्य के जीवन में धर्म और चरित्र जैसे बहुमूल्य गुणों का सिंचन कर उसके जीवन को सही दिशा व अर्थ प्रदान करता है, इस अवसर पर पंचमुखी महादेव मंदिर लयाड की कमेटी तथा गोपाल कृष्ण शास्त्री व भक्तजनों ने मिलकर हवन यज्ञ किया । इस सूक्ष्म यज्ञ में करोना वायरस के चलते सामाजिक दूरी तथा सरकार के निर्देशों का पूरा पालन किया गया ।
आचार्य उमेश शर्मा ने अपने व्यक्तव्य में आज के दिन की महिमा का व्याख्या करते हुए कहा कि आदि योगी शिव ने इस दिन सर्वप्रथम गुरु का स्वरूप धारण कर सप्तर्षियों को योग का ज्ञान दिया तब से यह दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया तथा भगवान व्यास की लीलाओं का भी ज्ञान दिया ।
इस अवसर पर गुलाब सिंह, हेमराज, दया राम भोला दत्त , टीकम शर्मा उपस्थित रहे ।