हिमाचल ! पीटीए पैरा एवं पैट शिक्षकों को नियमित करने पर आभार !

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प्रदेश सरकार द्वारा पीटीए पैरा एवं पैट शिक्षकों को नियमित करने पर हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी व आदरणीय शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज जी तथा सभी कैबिनेट मंत्रियों व शिक्षा विभाग का आभार प्रकट किया है। परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ मनोज शैल, महासचिव अमित शर्मा कोषाध्यक्ष श्री सोहनलाल, उपाध्यक्ष जंगछुब नेगी, अमरसेन, परमदेव, तेजस्वी शर्मा, संरक्षक डॉ अरुण शर्मा, डॉ दुनीचंद शर्मा, संगठन मंत्री योगेश अत्रि , प्रवक्ता शांता कुमार, बिलासपुर के प्रधान राजेंद्र शर्मा, हमीरपुर के सुनील धीमान, ऊना के बलबीर चंद, शिमला के दिग्विजयेंद्र कालिया, सिरमौर के रामपाल तथा किन्नौर के प्रधान वांगछेन नेगी ने संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि पीटीए पैरा एवं पैट शिक्षक काफी अरसे से नियमित होने के वनवास को झेल रहे थे । प्रदेश सरकार ने इनके वनवास को समाप्त किया है । इसके लिए प्रदेश सरकार व सभी शिक्षक बधाई के पात्र हैं।

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संस्कृत शिक्षक परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ मनोज शैल ने कहा कि प्रदेश में सेवारत शास्त्री अध्यापक व भाषा अध्यापक भी अनेक वर्षों से टीजीटी पदनाम पाने के लिए वनवास काट रहे हैं। गत वर्ष माननीय मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री जी ने टीजीटी पदनाम देने का आश्वासन दिया था तथा माननीय शिक्षा मंत्री जी ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज के माध्यम से घोषणा भी कर दी थी । लेकिन अभी तक हमारा यह स्वप्न पूरा नहीं हुआ है । हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् प्रदेश सरकार से विनम्र निवेदन करती है कि गत वर्ष 11 अगस्त को संस्कृत सप्ताह के शुभारंभ पर शिमला के गेयटी थियेटर में आयोजित कार्यक्रम में जो आश्वासन हमें मिला था उस आश्वासन को इस वर्ष 31 जुलाई से शुरू होने वाले संस्कृत सप्ताह के शुभारम्भ पर पूरा कर वर्षों से उपेक्षित शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम देकर उनके वनवास को भी समाप्त करें ।

प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्माचारी हितैषी है और सभी कर्मचारियों/शिक्षकों की हर मांग को सरकार ने पूरा किया है । अब केवल शास्त्री व भाषा अध्यापकों की मांग शेष है । अतः इस मांग को भी शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाए। सरकार सराहनीय कार्य कर रही है हर कार्य के लिए वित्तीय प्रावधान भी कर रही है फिर हमारे कार्य के लिए ही क्यों यह समस्या आ जाती है ? अतः प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी एवं शिक्षा मंत्री जी से निवेदन है कि आप स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप कर शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम देकर न्याय करें ।

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