शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) बीजेपी शासित नगर निगम शिमला के 3 वर्ष के कार्यकाल को पूरी तरह से विफल मानती है। बीजेपी को नगर निगम शिमला में शहर की जनता ने पहली बार पूर्ण बहुमत दिया था परन्तु केंद्र व राज्य में भी बीजेपी की सरकार होने के बावजूद कोई भी नई योजना इन तीन वर्षों में शिमला शहर के लिये नहीं ला पाई है और पूर्व नगर निगम द्वारा लाई व आरम्भ की गई योजनाओं को भी कार्यन्वित करने में विफल रही है। इन तीन वर्षों में बीजेपी बहुमत में होने के बावजूद भी एकताबद्ध तरीके से कार्य नहीं कर पाई है और इसके ही पार्षदों के साथ द्वारा कार्यो की गुणवत्ता व पार्किंग के कामो पर सवालिया निशान लगाए हैं। वर्ष 2018 में शिमला शहर में जिस प्रकार से नगर निगम व सरकार के पेयजल वितरण का कुप्रबंधन कर विकराल जल संकट खड़ा किया गया उससे शिमला की गरिमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ठेस पहुंचाई गई हैं। जोकि शिमला शहर के गौरवपूर्ण इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है।
पूर्व नगर निगम शिमला द्वारा लम्बे संघर्ष के बाद शिमला शहर के विकास के लिए जो योजनाएं जिसमे स्मार्ट सिटी परियोजना, विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर की पेयजल व सीवरेज व्यवस्था सुधारने हेतु परियोजना, अम्रुत, टूटीकंडी रोपवे, पार्किंग, बहुउद्देश्यीय व सामुदायिक भवन, पार्क, साईकल ट्रैक, लेबर होस्टल, तहबाजारी को बसाने का कार्य, शहरी रोजगार योजना, आजीविका भवन, शहरी गरीब के लिए आवास योजना आदि जो स्वीकृत व आरम्भ की गई थी वह बिल्कुल ठप्प पड़ी हुई है और नगर निगम इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। बीजेपी की सरकार व नगर निगम के इस उदासीन रवैय्ये के कारण 2906 करोड़ रुपए की स्मार्ट सिटी योजना का हश्र भी जे एन एन यू आर एम की तरह ही होने जा रहा है क्योंकि न तो नगर निगम इस महत्वकांक्षी परियोजना को लागू करने में संजीदगी से कार्य कर रहा है और सरकार जिसको इसके लिए 500 करोड़ रुपये का योगदान करना था वह भी इसको नही दे रही है।
इन तीन वर्षों में नगर निगम अपनी संपत्तियों का सही उपयोग करने में पूर्णतः विफल रही है। सरकार टाउन हॉल, टूटीकंडी पार्किंग व अन्य पार्किंग,शहर के विभिन्न हिस्सों में संपत्तियों आदि का भी सदुपयोग नहीं कर पाई है। टाउन हॉल का बड़ा भाग जिसमे नगर निगम का बैठक हॉल था उसे भी प्रदेश सरकार व निजी कारोबारियों के दबाव में निजी हाथों में दे दिया गया है। आज नगर निगम की यह दशा हो गई है कि उसके पास अपनी बैठक के लिए भी कोई स्थान नहीं है। इसके साथ साथ नगर निगम अपने संवैधानिक दायित्व से भी पीछे हट रहा है। क्योंकि जिस तरह से शहर की पेयजल व्यवस्था सरकार के दबाव में कंपनी के हाथों में सौंपा है उससे स्पष्ट है कि नगर निगम इन सेवाओं को निजी हाथों में सौंपने का कार्य कर रहा है।
इन तीन वर्षों में बीजेपी शासित नगर निगम ने पानी की दरों, कूड़ा उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स व अन्य शुल्कों में भारी वृद्धि की है। पानी की दरों में 40 प्रतिशत, कूड़ा उठाने की फीस में 100 प्रतिशत व प्रॉपर्टी टैक्स में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि कर जनता पर बोझ डालने का कार्य किया है। इन सेवाओं में सुधार लाने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। आज नगर निगम के विभिन्न विभागों में हजार के करीब पद खाली है परन्तु राज्य में बीजेपी की सरकार व शहर के विधायक मंत्री होने के बावजूद इन तीन वर्षों में कोई भी रिक्त पद नहीं भरे गए हैं।आज नगर निगम में 1000 से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। केंद्र व राज्य सरकार बीजेपी की होने के बावजूदशिमला शहर के लिए कोई भी नई योजना व अतिरिक्त ग्रांट लाने में यह नगर निगम पुरी तरह से विफल रही है।
शिमला शहर की जनता ने नगर निगम में बीजेपी को बहुमत देकर जो आशा व आकांक्षा की थी बीजेपी शासित नगर निगम उसपर बिल्कुल भी खरी नहीं उतरी है और शहरवासियों के हाथ में निराशा ही लगी है।