सुंदरनगर ! देश और प्रदेश सरकार वृश्चिक क्रोना रोकथाम के लिए पूरे प्रयास कर रही है एक भी लापरवाही बड़ी खतरनाक साबित होगी समाज के लिए ऐसा एक चौंकाने वाला मामला मंडी जिला के सुंदरनगर उपमंडल ग्राम पंचायत मलोह मे सामने आया आया है
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही इस कदर सामने आई है कि मरीज को अपने घर पहुंचने के बाद खेतों में भूखे प्यासे बैठकर कर अपनी कोविड रिपोर्ट कन्फर्म होने तक लगभग 6 घंटे इंतजार करना पड़ा। मामले में 2 दिन पहले कोरोना वायरस के लिए उसके सैंपल लिए गए थे।
रिपोर्ट आने पर उसे कहा गया कि आपकी रिपोर्ट नेगेटिव है और आपको जल्द ही घर छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद मरीज को मंडी स्थित ढांकसीधार कोविड केयर सेंटर से एंंबुलेंस के माध्यम से उसके गांव मलोह पहुंचाया गया। लेकिन जैसे ही एंबुलेंस से मरीज उतर कर अपने घर के लिए पैदल रवाना हुआ। इसी दौरान उसे ढांकसीधार से कॉल आया और उनकी रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी की सूचना दी गई।
इस पर उन्हें घर जाने से भी मना कर दी गई और रिपोर्ट का इंतजार करने के निर्देश दिए गए। इससे मरीज घबरा गया और वह पूरा दिन घर के बाहर खेत में ही बैठा रहा। इस कारण मरीज के परिवार वाले भी परेशान होते रहे। हैैैरानी की बात यह है कि मरीज को नेगेटिव रिपोर्ट का सर्टिफिकेट भी दे दिया गया था। लेकिन इसके बाद जब मरीज को इस तरह का कॉल आया तो वो परेशान हो गया और अपने घर के बाहर ही दूर खेतों में बैठा रहा। जब स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीज की रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
वहीं जारी की गई रिपोर्ट में मरीज की उम्र 28 वर्ष लिखी हुई थी और लेकिन उसकी उम्र 34 वर्ष थी। इस कारण भ्रम पैदा हो गया। वहीं मामले को लेकर मलोह पंचायत के उप प्रधान कृष्ण चंद वर्मा ने कहा कि पिछले महीने 28 तारीख को मलोह गांव का एक युवक मुंबई से लौटा था जिसकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे ढांंगसीधार कोविड केयर सेंटर में रखा गया था। दो दिन पहले उसका सेंपल लेकर उसे नेगेटिव रिपोर्ट की जानकारी दे दी गई थी और घर भेज दिया गया। लेकिन इसके बाद जब युवक घर से कुछ दूरी पर था तो उसे किसी अधिकारी का कॉल आया।
उन्होंने कहा कि अधिकारी ने युवक को अभी उनकी कोरोना रिपोर्ट पेंडिंग के बारे में कहा और अभी घर नहीं जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे मरीज और उसके परिवार और आसपास के क्षेत्र के गांव वाले परेशानी में पड़ गए। सभी स्वास्थ्य विभाग इस तरह की लापरवाही पर हैरान थे। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर की बीमारी है जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी इस तरह की लापरवाही बरते तो इससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।