शिमला ! सेब सीज़न को मुस्तैद रहें सरकार – रोहित ठाकुर !

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फाइल चित्र
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शिमला ! सेब सीज़न को मात्र डेढ़ माह का समय शेष हैं ऐसे में समय रहते बागव़ानों की समस्याओं का समाधान किया जाएं ताकि ₹5000 करोड़ रुपये की आर्थिकी को बचाया जा सकें। यह ब्यान जुब्बल-नावर-कोटखाई के पूर्व विधायक व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करते हुए दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया हैं जिसमें पड़ोसी देश नेपाल से श्रमिकों को लाने की बात कही जा रही हैं और प्रदेश सरकार से आग्रह किया हैं कि समय रहते केंद्र के सहयोग से मामलें को उठाकर इस निर्णय को अमलीजामा पहनाएं।

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उन्होंने कहा कि सेब बाहुलीय क्षेत्रों में सीमावर्ती राज्यों से श्रमिकों को लाने के लिए ई-पास बनवाने के लिए उपमंडलाधिकारी (ना०) तथा तहसीलदारों को अधिकृत किया जाएं ताकि बाग़वान मजदूरों संबंधित औपचारिकताएं स्थानीय स्तर पर ही निपटा सकें। उन्होंने प्रदेश सरकार से माँग की हैं कि प्रदेश के प्रमुख प्रवेश द्वार परमाणु, पौटा-साहिब व कुड्डू में मज़दूर सहायता केंद्र खोलें जाएं। कोरोना महामारी की आड़ में बागवानों को पैकेजिंग सामग्री में वृद्धि की आशंका जताई जा रही हैं। सरकार पूर्व की तरह HPMC व HIMFED के माध्यम से बागवानों को नियंत्रित दरों पर पैकेजिंग सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करें। बैमौसमी बारिश के चलते सेब की फ़सल स्कैब,माईट,पतझड़ जैसी बीमारियों की जद में आने की आशंका बनी हुई हैं और विभाग के पास मांग अनुरूप कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाइयां की भारी कमी देखने को मिल रही हैं।

उन्होंने सरकार से बागवानों को मांग अनुसार गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध करवाने की मांग की हैं। औलावृष्टि के चलते नक़दी फ़सल सेब को भारी नुक़सान हुआ हैं। अभी तक राज्य सरकार द्वारा औलावृष्टि से हुए नुक़सान का सही आंकलन नही किया गया हैं। रोहित ठाकुर ने औलावृष्टि से हुए नुक़सान का सही आंकलन कर किसानों को उचित मुआवज़ा देने की सरकार से मांग की हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया हैं कि बागवानों के उत्पाद के विपणन हेतु घर-द्वार तक सुविधा उपलब्ध करवाई जाए और देश के भिन्न-2 राज्यों के सेब खरीददारों (लदानी) से समय रहते संपर्क साधकर उन्हें पंजीकृत करवा कर प्रदेश में आमंत्रित किया जाए। सेब ख़रीद व विपणन में विशेषकर शिमला, सोलन और कुल्लू एपीएमसी की प्रमुख भूमिका होगी। एचपीएमसी को सुदृढ कर सेब ख़रीद व विपणन में शामिल किया जाए जिससे किसान लाभान्वित हो सकें।*

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