जंजैहली ! बिना खेती किये, न कोई खाद, न स्प्रे, अपने आप उत्पन्न होता है “लिगड़” !

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जंजैहली ! सराज घाटी के जंजैहली क्षेत्र में इन दिनों नदी किनारे व जंगल मे “लिगड़ ‘ उत्पन्न हो रहा है। लिंगड को कई नामों से जाना जाता है। लिंगड ,लूगड़ू ,और भी कई नाम हैं । ये हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप से उगता है ! इसके अतिरिक्त उतराखण्ड,व ठंडे स्थानों में पाया जाता है। हिमाचल में भी शिमला , किन्नौर, कुल्लू ,मनाली ,सराज घाटी,(जंजैहली) व कई स्थानों में मिलता है ।इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें अधिक मात्रा में आयरन होता है । बता दें इसे उगाया नहीं जाता ये अपने आप ही उगता है। ना इसमें कोई स्प्रे होता है ना ही कोई खाद का प्रयोग होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है । क्योंकि यह जंगलों में अपने आप पैदा होता है ।

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कंटीली झाड़ियों के पीछे, खेतों की मेड़ पर ,व नदी किनारे में उतपन्न होता है । लेकिन इस की खेती नहीं की जा सकती । आजकल यह काफी मात्रा में पिछली पहाड़ियों में उगने लगा है,। आजकल के हालात कोरोना महामारी के चलते लोग बाहर से आने वाली सब्जियों की अपेक्षा इसे खाना अधिक पसंद करने लगे हैं क्योंकि बाहरी राज्यों से आ रही सब्जियों को लोग थोड़ा डर के ले रहे है तो इस वजह से भी लोग इसकी तरफ ज्यादा आकृष्ट हो रहे हैं । यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है लेकिन अधिक नहीं खा सकते क्योंकि यह बहुत गर्म होता है, बता दे इसको दही के साथ ही खाना चाहिए अन्यथा चक्कर भी आ सकते हैं लेकिन तंदुरुस्त व्यक्ति के लिए यह अच्छी सब्जी है, लोग इसका प्रयोग सब्जी के रूप में और अचार बनाके भी करते हैं।

लेकिन इसका संरक्षण नहीं कर सकते। यह अधिक देर तक नहीं टिक सकता, लेकिन पुराने समय में इसे लोग सुखा के रखते थे ।आज के समय मे कम लोग लिंगड को सुखा के रखते है । इसकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है ।इसे बर्ष में एक बार आवश्य खाना चाहिये।ताकि सबको पोषक तत्व मिल सके ।

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