चम्बा ! मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला ईद का त्यौहार जिसका इंतजार हर मुस्लिम साल भर करता है। एक माह तक रमजान उल मुबारक के रोजे रखकर चांद निकलने पश्चात ईद के दिन का निर्धारण होता है, यह एक महीना हर एक मुस्लिम के लिए बहुत मायने रखता है। मान्यता है कि इस महीने एक नेकी के बदले 70 गुना ज्यादा नेकियों का फल प्राप्त होता है।
हिंदुस्तान की रिवायतों में रोजों का महत्व केवल मुस्लिम धर्म के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं रहता है अपितु अन्य सभी धर्मों के लोग भी रोजा इफतारी में अपनी सहभागिता निभाते हैं ।और मुस्लिम भाइयों का रोजा इफ्तार करवाते हैं। यह रिवायत भारत की राष्ट्रीय एकता व बंधुत्वव की भावना को बखूबी उजागर करती है। मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजा रखने से पूर्व रात्रि में तरावीह पढ़ने की भी हिदायत है लेकिन इस वर्ष लॉक डॉन के चलते मस्जिदों में तरावीह व जुमे की नमाज नहीं हो सकी । अब ईद उल फितर का त्योहार भारत में आज हर्ष उल्लास और धूमधाम से मनाया जा रहा है । यद्यपि लॉक डॉउन के चलते मुस्लिम समुदाय के लोग उच्च स्तर ख़रीदारियाँ नहीं कर पाए हैं ।
इसके लिए वह मायूस नहीं है। न ही इसका उन्हें मलाल है । बल्कि दुनिया में चल रहे कोरोना वायरस के संकट के चलते मुस्लिमों ने अहद लिया कि वे ईद की खरीदारी तब ही करेंगे जब देश में से कोरोना संक्रमण खत्म होगा और समस्त देश सकून से अपनी दिनचर्या को आरंभ करेगा। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कथन है कि वह लोक डॉन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ईद की नमाज को अपने घरों में ही मना रहे है और उन्होंने तमाम हिंदुस्तान की खुशहाली, बेहतरी और तरक्की के लिए जहां दुआएं मांगी वहीं दुनियाभर से यह कोरोना जैसी महामारी जल्द खत्म हो इसके लिए भी दुआएं की।