राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने शोध और तकनीकी पर आधारित जैव विविधता के दोहन पर बल देते हुए कहा है कि हिमालययी क्षेत्र की जड़ी-बुटियों पर आधारित उत्पाद को प्रचारित कर राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सकता है।
राज्यपाल आज विश्व विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर राजभवन में वन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के दौरान बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के आने से दुनिया को पता चल गया कि हम प्रकृति से दुश्मनी नहीं ले सकते हैं। ‘‘ अगर आप प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति आप को नुकसान पहुंचाएगी, यह निश्चित है।’’ उन्होंने कहा कि तीन चीज़ों ने जीवन को ही बदल दिया, जिनमें जनसंख्या का बढ़ना, शहरीकरण और औद्योगिकरण। हमें विकास के पथ पर तो आगे बढ़ना है लेकिन प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को कम करना पढ़ेगा। क्योंकि, प्रकृति का संतुलन बहुत जरूरी है। हम विकास के नाम पर वन क्षेत्र को खत्म नहीं कर सकते हैं।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति से छेड़छाड़ का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता अधिनियम को निचले स्तर पर कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। उन्होंने विभागीय स्तर पर तैयार किए गए उत्पादों के लिए सराहना की तथा विभागीय तालमेल से इस कार्य को और आगे बढ़ाने पर बल दिया।
इस अवसर पर, डाॅ. अजय, मुख्य प्रधान अरण्यपाल तथा वन तथा श्री डी.सी. राणा, निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने राज्यपाल को विभाग की गतिविधियों की जानकारी दी तथा जैव विविधता को लेकर किए जा रहे कार्यों से अवगत करवाया।
गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।