शिक्षा मंत्री के एनुअल चार्जेज व टयूशन फीस लेने वाले बयान की निंदा – छात्र अभिभावक मंच !

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सांकेतिक चित्र
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शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा है कि 23 मई को होने वाली कैबिनेट बैठक में निजी स्कूलों को टयूशन फीस के साथ ही एनुअल चार्जेज लेने की छूट दे दी जाएगी। शिक्षा मंत्री का यह बयान निजी स्कूलों के लगभग तरह लाख छात्रों व अभिभावकों से सीधा धोखा है। मंच ने चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार ने टयूशन फीस के साथ एनुअल चार्जेज छात्रों व अभिभावकों पर थोपेगी तो इसका कड़ा विरोध होगा।

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मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सह संयोजक बिंदु जोशी,सदस्य फालमा चौहान,विवेक कश्यप,राजीव चौहान,प्रकाश रावत,नीलम भारद्वाज व कौशल्या देवी ने शिक्षा मंत्री के बयान का कड़ा संज्ञान लिया है व इसके खिलाफ मुख्यमंत्री,हिमाचल प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा है कि इस से साफ जाहिर हो गया है कि शिक्षा मंत्री की निजी स्कूल संचालकों के साथ हमदर्दी है व वह उनकी लूट व मनमानी को रोकने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे बयान देकर वह निजी स्कूल संचालकों को लूट की खुली इज़ाज़त दे रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री पर आरोप लगाया है कि वह पिछले दो वर्षों से अभिभावकों की आवाज को अनसुना कर रहे हैं। निजी स्कूलों की लूट को रोकने के लिए शिक्षा निदेशक द्वारा पिछले एक वर्ष में छः अधिसूचनाएं जारी की गईं लेकिन निजी स्कूलों ने इनमें से एक भी अधिसूचना को लागू नहीं किया। इस सब पर शिक्षा मंत्री की खामोशी हमेशा सवाल खड़ा करती रही है। पिछले सप्ताह 11 मई की शिक्षा मंत्री की शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक में भी शिक्षा निदेशालय ने अभिभावकों की समस्याओं के मध्यनज़र बेहतरीन सुझाव दिए थे लेकिन शिक्षा मंत्री ने उन्हें मानने से इन्कार कर दिया। इसमें छात्रों से केवल टयूशन फीस वसूलने के प्रावधान है। शिक्षा मंत्री ने निजी स्कूलों के संचालकों के दबाव में इस टयूशन फीस के साथ एनुअल चार्जेज को जोड़ने का फरमान सुना दिया जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि शिक्षा मंत्री महोदय को यह ध्यान रखना चाहिए कि एनुअल चार्जेज एडमिशन फीस का ही बदला हुआ रूप है जिस पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय वर्ष 2016 में पूर्णतः रोक लगा चुका है। निजी स्कूलों में टयूशन फीस के साथ ही भारी भरकम एनुअल चार्जेज वसूले जाते हैं जिनका भुगतान करना कोरोना महामारी के समय में अभिभावकों के लिए बेहद मुश्किल है। इसका एक उदाहरण संलग्न किया जा रहा है जिसमें स्वतः ही निजी स्कूलों की लूट व मनमानी स्पष्ट हो जाएगी। इस निजी स्कूल ने 14 मार्च 2020 को नर्सरी के अभिभावकों को पहली तिमाही की फीस की जो रसीद जारी की थी उसमें टयूशन फीस 9520 रुपये थी व एनुअल चार्जेज की रकम टयूशन फीस से भी ज़्यादा 10500 रुपये थी। इन दोनों मदों के सिवाए केयर चार्जेज 850 रुपये थे। अब इस उदाहरण से स्वतः ही स्पष्ट है कि शिक्षा मंत्री के बयान अनुसार अभिभावकों को पहली तिमाही के लिए जारी की गई 20870 रुपये की कुल फीस में से टयूशन फीस व एनुअल चार्जेज की राशि 20020 रुपये है। शिक्षा मंत्री के बयान के अनुसार यह राशि अभिभावकों को देनी ही पड़ेगी व कोरोना के आपदा काल में निजी स्कूल में मार्च से मई की इस तिमाही में कोई कक्षा न लगने के बावजूद भी लगभग पूरी फीस अभिभावकों से वसूली जाएगी व उन्हें केवल 850 रुपये की छूट देकर उनके साथ क्रूर मजाक किया जाएगा कोरोना महामारी के संकट के समय में उनके गहरे ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का कसम किया जाएगा। यह बेहद हास्यास्पद व घिनौना है।

उन्होंने हैरानी जताई है कि एक तरफ दिल्ली व हरियाणा की सरकार केवल टयूशन फीसें ले रही है,उत्तर प्रदेश की सरकार फीस बढ़ोतरी की निरस्त कर रही है वहीं दूसरी ओर हिमाचल सरकार बिना किसी कक्षाओं के भारी भरकम एनुअल चार्जेज का बोझ अभिभावकों पर लाद रही है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा मंत्री की निजी स्कूलों के साथ हमदर्दी इस बात से भी ज़ाहिर हो गयी है कि निजी स्कूलों में फीसों को निर्धारित करने के लिए उन्होंने संचालकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस करना तो ज़रूरी समझा व उनके ही सुझावों को सरकार के निर्णय में बदलने का मन बना लिया है परन्तु फीसों का भुगतान करने वाले व सबसे बड़े स्टेक होल्डरज़ अभिभावकों के साथ वीडियो कांफ्रेंस करना तो दूर उनके ज्ञापनों पर भी ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा। शिक्षा मंत्री ने फीसों को लेकर निजी स्कूल संचालकों के साथ जो वीडियो कांफ्रेंस की वह गैर कानूनी है क्योंकि संविधान,शिक्षा का अधिकार कानून 2009,मानव संसाधन विकास मंत्रालय की 2014 की अधिसूचना,उच्च व सर्वोच्च न्यायालय कहीं भी इसकी कोई इज़ाज़त नहीं देते हैं। इसके बावजूद भी शिक्षा मंत्री ने इनके साथ वीडियो कांफ्रेंस करके गैर कानूनी कार्य किया है। इसके विपरीत निजी स्कूलों की फीस के संदर्भ में पीटीए व जनरल हाउस को कानूनी पूर्ण अधिकार है। इसके बावजूद शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों व पीटीए से बैठक अथवा वीडियो कांफ्रेंस करना जरूरी नहीं समझा। इस सब से स्पष्ट हो गया है कि निजी स्कूलों को सरकार के स्तर से लूट व मनमानी की हरी झंडी है जिसे छात्र अभिभावक मंच किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेगा।

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