करसोग बाजार में कचरा चारों ओर दिखना आम बात है। पंचायत और बाजार कमेटी के पास कूड़ा फेंकने के लिए स्थान चिह्नित हो चुका है । फिर भी करसोग बाजार ही नहीं, बल्कि साथ लगते इलाका पुराना बाजार करसोग, में भी स्वच्छता के दावे हवा हैं। हकीकत में स्वच्छता कहां है कोई नहीं जानता है। लोगों ने कचरे को फेंकने के लिए नालों को चिह्नित कर लिया है। चाहे वह स्कूल की खड हो, चाहे इमला विमला की खड्डे हो, पुराना बाजार करसोग बाजार, या कानी मंडलाह का नाला। हालांकि पंचायतों ने लोगों को जागरूक करने के लिए कोई भी साइन बोर्ड नहीं लगाए हैं कि नदी-नालों में लोग गंदगी को इन विभिन्न स्थान पर गंदगी उड़ेल रहे हैं और बहते जल को दूषित कर रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी चुपचाप बैठे हैं। मानो सच में स्वच्छता के प्रति कोई पहल नहीं करना चाहता है।
करसोग शहर के साथ सटे नगर पंचायत के पुराना बाजार के लोगों का गुस्सा प्रशासन और स्थानीय जन प्रतिनिधियों के खिलाफ फूट पड़ा। उन्होंने कहा कि पिछली बार जनप्रतिनिधियों ने उनसे जो वादे किए थे, अभी तक वे भी पूरे नहीं हुए और फिर से नया चुनाव आने वाला है। लोगों ने कहा कि आखिर कब तक चुनाव दर चुनाव उनको बेवकूफ बनाया जाता रहेगा। उनका कहना था कि चुनाव में खड़े होने वालों के लिए यह जरूरी कर दिया जाना चाहिए कि वे जनता से जो वादे करें, उसे पूरा भी करें। लोगों ने एक बार चुनाव में किए वादे तो पूरे हुए नहीं अब फिर से चुनाव 2021 मैं आने वाले हैं। लेकिन उनके इलाके की गली नालियों की हालत नहीं सुधरी।
स्थानीय लोगों ने कहा कि पिछले कई साल से गलियों को ठीक नहीं किया गया है। आलम यह है कि उन्हें बरसात के दिनों में घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। नालियों को साफ नहीं किया गया है। बार बार नगर पंचायत और अन्य अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान ही नहीं देता है। जनप्रतिनिधि भी एक ही बार आए और उसके बाद अपना चेहरा तक नहीं दिखाया है। उन्होंने कहा कि पुराना बाजार करसोग की सड़कें, गलियां खस्ता हाल हो चुकी हैं और नालियों को साफ न करने के कारण वह ब्लाक हो रही हैं। ऐसे में लोगों केे परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि उनका इलाका शहर से सटा हुआ है लेकिन इसके बाद भी इसकी हालत बदतर है। लोगों ने कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो इस बार चुनाव में वह इसका जवाब लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि हर बार आश्वासन और झूठे वादों से काम नहीं चलने वाला और अगर इस बार उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वह उग्र रुख अपनाने के लिए मजबूर होंगे। स्ट्रीट लाइटों का भी कोई भी प्रशासन की तरफ से प्रबंध नहीं किया गया है न ही प्रशासन विचार कर रहा है ।