चम्बा ! हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक गढ़ माता मंदिर के प्रांगण मे भू-स्खलन के कारण मंदिर को भी खतरा पैदा हो गया है। जनवरी माह मे भारी बर्फ़बारी और बरसात के कारण मंदिर के पास भू-स्खलन हुआ है ।
मंदिर का यह भाग जहां पर भू-स्खलन हुआ है,खतरे की जद मे है यहां हिमाचल और जे एन्ड के के लोगो द्वारा प्रसिद्ध ऐतिहासिक जातर मेले का आयोजन सितम्बर महीने मे किया जाता है और यहां हजारों लोग मेले मे शामिल होते है ।
यदि सरकार ने जल्द प्रयास न किए तो बारिश और भूस्ख्लन से मंदिर को और खतरा हो सकता है इस मंदिर में भू-स्खलन रोकने को सरकार ने वन विभाग के माध्यम से 2006-2007 मे डंगों का निर्माण करवाया था। ये डंगे भी इस वर्ष हुई भारी बर्फबारी से भू-स्खलन रोकने में सफल नहीं हुए हैं।
इस कारण यह जगह खिसकने लगी है।लोगों ने कहा अगर लॉक डाउन हट जाता है तो सितंबर मे यहां जातर मेले का आयोजन किया जायेगा जिसमे हजारों लोग यहां पहुंचेगे तो अगर यहां मैदान दरुस्त ना हुआ तो लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
वहीं गढ़ माता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष डी एस पठानिया ने बताया की ऐतिहासिक गढ़ माता मंदिर को भारी बर्फबारी और भूस्ख्लन से काफ़ी नुकसान हुआ है और मंदिर को खतरा है और यहां हर वर्ष ऐतिहासिक जातर मेले का आयोजन किया जाता है हर धर्म से जुड़े लोगों की आस्था का प्रतीक है।
यह गढ़ माता मंदिर जातर मेला और यहां भूस्ख्लन से ऐतिहासिक मंदिर खतरे की जद मे है उन्होंने कहा की सरकार ग्राम पंचायत के माध्यम से या वन विभाग के माध्यम से यहां कार्य शुरू करवाए ताकि समय पर कार्य पूरा हो सके।