बिलासपुर ! हिमाचल प्रदेश के सवारघाट में कवर्टाइन किए हुए एक युवक की सिर में चोट लगने से युवक की जान चली गई थी ।बिलासपुर पुलिस के जवानों ने युवक का जीवन बचाने की बहुत कोशिश की थी , लेकिन समय पर मृतक को इलाज न मिलने से हंसराज की मौत हो गई थी । कोरोना की आशंका को लेकर युवक के शव के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ। परिजनों का आरोप है कि 3-4 घंटे तक शव सड़क पर ही पड़ा रहा। इस तरह का व्यवहार करने वाले यह भूल चुके थे कि बरमाणा के रहने वाले हंसराज की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव थी।
युवक को तुरंत ही उपचार क्यों नहीं मिला, इसको लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
रविवार दोपहर साढ़े तीन बजे के आसपास वन विश्रामगृह की पहली मंजिल पर क्वारंटाइन में रखे गए हंसराज की तबीयत बिगड़ गई। साथी जितेंद्र ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद गृहरक्षक हेमंत शर्मा ने पीएचसी स्वारघाट में तैनात डॉ. राज को बताया । चिकित्सक तुरत मौके पर पहुंच गए और चैकअप किया गया। इस दौरान युवक व चिकित्सक की बातचीत भी हुई। मौके पर पहुंचे चिकित्सक ने हंसराज को बिलासपुर रैफर कर दिया। डॉ. राज ने 108 पर बात की तो उन्हें एंबूलेंस के व्यस्त होने की बात कही गई। इसी बीच 10 मिनट बाद 108 से एचएचजी विकास कुमार के फोन पर कॉल आई। इस पर बताया गया कि मरीज उनका रिश्तेदार नहीं है, बल्कि वो क्वारंटाइन सैंटर में डयूटी पर तैनात है।
करीब पौने 5 बजे 108 एंबूलेंस पहुंच गई। एंबूलेंस के ईएमटी और चालक ने मरीज को उठाने से मना कर दिया। इसके बाद साढ़े 6 बजे के करीब पुलिस कर्मियों ने मौके पर पहुंच कर हंसराज को एंबूलेंस में लिटाया। 11 मई की सुबह करीब 3 बजे युवक ने आईजीएमसी में दम तोड़ दिया। 108 कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा-304ए व 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आईजीएमसी में युवक की मौत के बाद शव के साथ भी पीड़ादायक व्यवहार हुआ। उधर एक अन्य जानकारी के मुताबिक क्वारंटाइन सैंटर से मृतक हंसराज के रूममेट जितेंद्र को होम क्वारंटाइन कर दिया गया है।
आईजीएमसी पहुंचने से पहले ही युवक की मौत हो गई थी। शव को घंटों तक सड़क पर ही क्यों रहने दिया गया, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग करेगा जाँच की क्यों ऐसा किया गया।