शिमला ! बागवानों की फसलों को हुई क्षति का उचित मुआवजा देने की मांग- मार्क्सवादी !

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फाइल चित्र
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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) प्रदेश सरकार से मांग करती है कि प्रदेश में भारी वर्षा व ओलावृष्टि से किसानों व बागवानों की फसलों को हुई भारी क्षति का तुरन्त आंकलन कर उनको उचित मुआवजा राहत के रूप में दे।

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आज प्रदेश के लगभग सभी जिलों में अनाज जिसमे गेहूं आदि की फसल पक कर तैयार है और इसकी कटाई चल रही है। इसके साथ ही प्रदेश में बेमौसमी सब्जियां जिसमें विशेष रूप से मटर, गोभी, टमाटर आदि की फसलें पक कर मंडियों में भेजने के लिए तैयार है। परन्तु कुछ दिनों से प्रदेश में हुई भारी वर्षा व ओलावृष्टि ने यह फसलें तबाह कर दी है जिससे किसानों को भारी नुकसान हो गया है।

प्रदेश में आजकल सेब के फूल आ रहे हैं और फल की सेटिंग की प्रक्रिया चल रही है। परन्तु बेमौसमी वर्षा व ओलावृष्टि ने सेब की फसल को नुकसान कर दिया है। पिछले दिनों में शिमला, कुल्लू, मंडी व किन्नौर जिलों ने इसके कारण लगभग 20 प्रतिशत सेब का अभी तक नुकसान हो गया है। इसके अतिरिक्त चेरी, अन्य गुठलीदार फलों व नाशपाती की फसल को भी नुकसान हुआ है।

इस भारी वर्षा व ओलावृष्टि के कारण प्रदेश के किसानों व बागवानों का संकट और अधिक बढ़ गया है क्योंकि वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण वह पहले ही संकट के दौर से गुजर रहा है। न तो उसको समय पर लागत वस्तुएं उपलब्ध हो रही है और अधिकांश मंडियों के बन्द रहने व कारोबार सुचारू न होने से उसे उसके उत्पाद को औने पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश में अधिकांश किसान व बागवान बैंकों व अन्य संस्थाओं से कर्ज लेकर कृषि व बागवानी करता है। आज वह इस स्थिति में नहीं रह गया है कि वह इस कर्ज को वापिस कर सके।

सी.पी.एम. सरकार से मांग करती है कि इस विषम परिस्थिति में किसानों व बागवानों के संकट को ध्यान में रखते हुए भारी वर्षा व ओलावृष्टि से हुई क्षति का तुरन्त आंकलन कर इनको उचित मुआवजा प्रदान करे। किसानों व बागवानों के द्वारा बैंकों व अन्य संस्थानों से लिये गए कर्ज़ वापसी पर तुरन्त रोक लगाई जाए तथा इसे मुआफ़ कर किसानों व बागवानों को संकट की घड़ी में राहत प्रदान की जाए।

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