शिमला ! मज़दूर जहाँ भी है वह असुरक्षित महसूस कर रहा है – संजय चौहान !

0
3288
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

शिमला ! वैश्विक महामारी कोविड19 के कारण सरकार द्वारा देश व प्रदेश में जल्दबाज़ी में लागू किये गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण गरीब, जरूरतमंद, मजदूर विशेष रूप से ध्याड़ीदार व अप्रवासी मजदूरों को बेहद परेशानी हो रही है। आज इसको लागू किये लगभग एक माह हो गया है और इससे इन मजदूरों को रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस विषम परिस्थिति में वह सामाजिक व आर्थिक रूप से असहज महसूस कर रहा है। क्योंकि आज इनके पास जो भी थोड़े बहुत साधन थे वह समाप्त हो गए हैं। इस विषम परिस्थिति में आज यह मज़दूर जहाँ भी है वह असुरक्षित महसूस कर रहा है और अपने घर जाने के लिए बेहद आतुर है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) सरकार से आग्रह करती जो भी लोग, प्रवासी मजदूर या कोई अन्य जहाँ भी फंसा हुआ है और घर वापिस आना या जाना चाहता है उसको घर तक छोड़ने का प्रबंध सरकार को करना चाहिए।

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

प्रधानमंत्री द्वारा देश में लॉकडाउन की जो घोषणा की गई वह जल्दबाजी व बिना तैयारी के की गई है और इसके कारण करोड़ो मजदूर व अन्य लोग अपने घरों से दूर बिना किसी कार्य के फंस गए हैं। आज इनके पास जो भी साधन थे वह लगभग एक माह में समाप्त हो गए हैं। जिसके कारण इनको दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। सरकार द्वारा इनके लिये खाने व रहने के उचित व्यवस्था न होने से इनका संकट दिन प्रतिदिन गंभीर हो रहा है और यह लॉकडाउन व कर्फ्यू की स्थिति इनके लिये दिन प्रतिदिन भयावहः होती जा रही है और यदि सरकार द्वारा उचित कदम समय रहते नहीं उठाए गए तो यह एक बड़ी त्रासदी का रूप ले सकती है।

प्रदेश में भी लॉकडाउन व कर्फ्यू को लागू हुए एक माह बीत गया है। प्रदेश के भीतर व बाहर आज हजारो लोग जिन में अधिकतर ध्याड़ी मेहनत मजदूरी करने वाले लोग है जो विभिन्न क्षेत्रों में फंसे हुए हैं और अपने घर जाने की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जनता से अपील कर रहे हैं कि लॉकडाउन का पालन करें जो जहां पर है वहीं रहे परन्तु प्रभावशाली व सरकार के करीबी लोगों को प्रदेश से बाहर से लाने के लिए सरकार लॉकडाउन व कर्फ्यू के सभी नियमों व कानूनों को ताक पर रख कर इनको लाया गया। परन्तु आम लोगों व मजदूरों को नही लाया जा रहा है। यह संविधान की मूल भावना जिसमे सभी को समान अधिकार दिए गए हैं का सरासर उलंघना है। हाल ही में भी सरकार ने कोटा के लिए छात्रों को लेने के लिए जो अपने खर्च पर 9 बसे भेजी है उसमें प्रदेश के जो अन्य 10 लोग कोटा में फंसे हुए हैं उनको लाने की इजाजत सरकार ने नहीं दी है।

इसके साथ ही लम्बी जिदोजहद के बाद सरकार ने बड़ी संख्या में कश्मीर के मजदूर जो प्रदेश में इन विषम परिस्थितियों में फंसे हैं उनमें से भी कुछ लगभग 250 मजदूरों को अभी शिमला से अपने घर जाने की इजाजत दी है। परन्तु इनको जिस प्रकार से कोटा के लिये सरकार ने अपने खर्च पर बसे भेजी है इन मजदूरों को बसे नही भेजी गई और इन्हें इस संकट की घड़ी में भी निजी बसों में अपनी जेब से 2000 हजार रुपये प्रति मजदूर के हिसाब से खर्च करना पड़ा है। यह सरकार का मजदूर वर्ग के प्रति भेदभावपूर्ण रवय्या दर्शाता है।

सी.पी.एम. मांग करती है कि सरकार प्रदेश के बाहर व भीतर जो भी फंसा हुआ है और अपने घर जाना चाहता है उसको घर भेजने के लिए सरकार तुरन्त कदम उठाए व जिस प्रकार से कोटा से छात्रों को लाने के लिए सरकार ने अपने खर्च पर बसे भेजी है वैसे ही प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों में फंसे लोगो व प्रदेश में फंसे मजदूरों व अन्य लोगो को घर भेजने का प्रबंध करें। जो जिला ग्रीन जोन में है उनमें परिवहन व अन्य गतिविधियों को सामान्य रूप में आरम्भ किया जाए ताकि लोगो को इस संकट की घड़ी में अपना रोजी रोटी अर्जित करने का अवसर प्राप्त हो सके।

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखशिमला ! हिमाचल के लिए कुछ राहत की खबर !
अगला लेखचम्बा पुलिस ने पकड़ी एक राहगीर से देसी शराब।