शिमला ! प्रदेश सरकार से गेहूं कटाई को मनरेगा के तहत लाने की मांग – मुकेश अग्निहोत्री !

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फाइल चित्र
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शिमला ! प्रतिपक्ष नेता मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश में गेहूं,जौ की फ़सल काटने को मजदूर न मिलने पर किसानों की चिंता को वाजिब बताते हुए प्रदेश सरकार से गेहूं कटाई को मनरेगा के तहत लाने की मांग की है।उनका कहना है कि प्रदेश के मैदानी इलाकों में गेहूं की फ़सल पूरी तरह से तैयार हो गई है,इसलिए इसे समय पर काटना जरूरी है।मौसम की बेरुखी और ओलावृष्टि से इन फसलों को भी नुकसान हो रहा है।अग्निहोत्री ने आज यहां कहा कि उन्हें प्रदेश के अनेक स्थानों से किसनों के इस बारे फोन आ रहें है।

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उन्होंने कहा है कि एक तरफ जहां उन्हें गेंहू कटाई के लिए मजदूर नही मिल रहे है तो दूसरी ओर प्रशासन कटाई के लिए थ्रेशर चलाने की अनुमति भी नही दी जा रही है।प्रशासन टालमटोल की नीति अपनाए हुए है अपने कर्तव्य से भाग रहा है।प्रशासन किसी भी निर्णय के लिए सरकार के आदेशों का हवाला देतें हुए अपना पला झाड़ रहा है।मुकेश ने कहा है कि लॉक डाउन से प्रदेश के किसानों व बागवानों की मुश्किलें सुलझाने में प्रदेश सरकार कोई रुचि नही ले रही है,जो बहुत चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा है कि एक तरफ प्रदेश मे कोरोना का असर दूसरी तरफ बेरोजगारी, किसानों, बागवानों की समस्याओं ने इन लोगों की चिंताओं को बड़ा दिया है।उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार लोगों को राहत देने के बड़े बड़े दाबे तो कर रही है पर धरातल पर कुछ भी नज़र नही आ रहा है।उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने लोगों की चिंता पर मंथन करते हुए मुख्यमंत्री से इस बारे बातचीत भी की है।

मुकेश ने कहा है कि प्रदेश में किसी भी प्रकार में कही भी अन्न की कोई कमी न हो इसके पूरे प्रबंध किये जाने चाहिए।उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी लोगों को पीडिएस के तहत एक समान मुफ्त राशन उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।मुकेश ने कहा है कि किसानों की फ़सल गेंहू,जौ धान का भी समर्थन मूल्य के अधीन लाया जाना चाहिए।

उनका कहना है कि अन्य फलों की तरह सरकार को किसानों की फ़सल का भी कोई समर्थन मूल्य निर्धारित करते हुए उनकी हरसंभव आर्थिक मदद करनी चाहिए।मुकेश ने कहा है कि लॉक डाउन अबधि का होटल, इंडस्ट्रीज या ब्यवसाईक दुकानों के कमर्सिअल रेट से डुमेस्टिक,घरेलू और सभी डुमेस्टिक लोगों के भवनों से बिजली, पानी और हाउस टेक्स इस अबधि के माफ किये जाने चाहिए

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