कुल्लू । जिला कुल्लू बागवानी और पर्यटन के लिए विख्यात है। इससे घाटी के हजारों लोगों की आर्थिकी, रोजगार जुड़ा है। लेकिन इस बार घाटी के लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। जिले में पर्यटन कारोबार एक माह से ठप है। अब लोगों की नजर बागवानी पर टिकी है। लेकिन इस पर मौसम भारी पड़ने लगा है। पहले प्लम की 60 फीसदी फसल तबाह हुई और अब दूसरे चरण में नाशपाती की 80 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है।
जिले के हजारों बागवानों को दोहरा झटका लगा है। लगातार बिगड़ते मौसम का कहर इस बार नाशपाती फसल पर भी पड़ गया है। भरपूर फूल खिलने के समय एकाएक बारिश-बर्फबारी होने के कारण फूलों की पंखुड़ियां क्षतिग्रस्त होने से इसकी सेटिंग पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इससे नाशपाती उत्पादकों को चिंता बढ़ गई है। अनुमान के मुताबिक जिले में अभी तक 80 फीसदी फसल खराब मौसम की भेंट चढ़ गई है। ऐसे में बागवान परेशान हैं। घाटी के नाशपाती उत्पादक चंदेराम ठाकुर, ज्ञान ठाकुर, सुशील भंडारी, चमन ठाकुर, केहर सिंह, राजीव, जयचंद, कर्मचंद, अनिश तथा नवीन प्रताप पठानिया आदि ने कहा कि भरपूर खिले फूलों पर बारिश-बर्फबारी से सेटिंग पर नकारात्मक असर हुआ है। बताया जा रहा है कि इस साल गत वर्ष की अपेक्षा नाशपाती की फसल बहुत कम है। बागवानों के मुताबिक उनके बगीचों में नाशपाती फल ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फ्लावरिंग के समय तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण सेटिंग पर बुरा प्रभाव पड़ने से फसल को भारी नुकसान हुआ है। बारिश और बर्फबारी के चलते तापमान के गिर जाने से फल बनने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है, जिससे फसल को क्षति हुई है।
बागवानी अनुसंधान केंद्र बजौरा के सह निदेशक डॉ. एचएस भाटिया के अनुसार फ्लावरिंग के समय बारिश और बर्फबारी के कारण एकाएक तापमान लुढ़क जाने से सेटिंग प्रभावित हो गई। साथ ही इस बार पौधों पर फूल भी काफी कम नजर आ रहे थे। इससे यह समस्या पेश आई है।
लगातार बिगड़ते मौसम का कहर – प्लम के बाद नाशपाती को भी नुकसान।
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