कुल्लू । कोरोना संक्रमण के चलते सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपराएं टूट गई !

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कुल्लू। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार देवी-देवताओं की सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपराएं टूट गई हैं।मंदिरों से बाहर नहीं निकल सके देवता !देवता बिजली महादेव समेत, मार्कंडेय ऋषि, मनु ऋषि, देवता ब्रह्मा समेत दर्जनों देवी-देवताओं के रथ मंदिरों से बाहर नहीं निकले। कुल्लू के अधिकतर देवता बैसाख संक्रांति पर मंदिरों से बाहर निकलकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते थे। लेकिन इस बार कोरोना के चलते श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर पाए हैं।

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मंदिरों में सिर्फ पूजा-अर्चना कर ही परंपरा का निर्वहन किया गया। बैसाख संक्रांति पर होने वाले करीब दो दर्जन से अधिक मेलों, देवी-देवताओं की रथयात्रा को भी रद्द करना पड़ा। इससे घाटी के श्रद्धालुओं में मायूसी छाई हुई है। घाटी के बिजली महादेव बैसाख संक्रांति के दिन लाव-लश्कर के साथ जिया पहुंचते थे। जिया पहुंचने पर लोगों का हुजूम उमड़ता था।

बिजली महादेव को सीधी पहाड़ी से रस्सी के सहारे नीचे उतारा जाता था। इस दुर्लभ दृश्य को देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु भ्रैंण गांव पहुंचते थे। लेकिन कोरोना के चलते देवता बिजली महादेव देवालय के बाहर ही नहीं निकले। हुरला के मार्कंडेय ऋषि भी गोमती और ब्यास नदी संगम स्थल पर पवित्र स्नान करते थेे।

यह दिन उनका जन्मदिन माना जाता था। सैंज घाटी के कनौन के आराध्य देव ब्रह्मा, माता भगवती के सम्मान में होने वाला मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ा। ब्रह्मा ऋषि व भगवती माता के रथ को रस्सी के साथ खींचकर ऊंची चोटी पर देवता बनशीरा के मंदिर पुखरी पहुंचाया जाता था। देवता के कारदार भीमी राम, पालसरा मोतीराम ने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए इस देव मेले को स्थगित किया है।

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