शिमला ! दो नेपाली बच्चे आधी रात को रेस्क्यू कराए – उमंग फाउंडेशन !

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शिमला ! संजौली की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निर्माणाधीन मकान में अंडर ग्राउंड सूखे वाटर टैंक में रह रहे दो नेपाली बच्चों को मंगलवार रात 12 बजे उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने पुलिस की मदद से रेस्क्यू कराया। दोनों बच्चों को उनके माता-पिता छोड़कर कहीं चले गए हैं और वे अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में अंधेरेे वाटर टैंक में रात गुजारते थे।

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मासूम बच्चों का दुखड़ा भी दर्दनाक है उनके माता-पिता ने कहीं अलग अलग शादी कर ली है।  लिहाजा अनाथ होने पर उन्हें रहने के लिए यह जगह सबसे सुरक्षित लगी। दोनो बच्चे अपनी उम्र 10 वर्ष और 11 वर्ष बताते हैं।

7 अप्रैल की रात को संजौली की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले एसजेवीएन के अधिकारी सनी सराफ ने प्रो.अजय श्रीवास्तव को फोन पर बताया कि  दो मासूम बच्चे बेहद खराब परिस्थितियों में निर्माणाधीन अंडर ग्राउंड पानी की टंकी में रहते हैं।  उन्होंने कहा की इनके माता-पिता उन्हें छोड़कर कहीं चले गए हैं और बच्चे असुरक्षित हैं।  सनी सराफ ने  उन्हें खाना और कपड़े भी दिए।

उमंग फाउंडेशन ने तुरंत इसकी जानकारी जूविनाइल जस्टिस एक्ट के अंतर्गत बनी वैधानिक संस्था चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जिला अध्यक्ष जीके शर्मा को दी और उनसे मासूम बच्चों को तुरंत रेस्क्यू कराने का अनुरोध किया। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जीके शर्मा ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता जताते हुए श्रीवास्तव को चाइल्ड लाइन या पुलिस को फोन करने की सलाह दी।

देर रात अजय श्रीवास्तव  शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर से बच्चों को तुरंत रेस्क्यू कराने का अनुरोध किया। प्रदीप ठाकुर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बालूगंज के एसएचओ राजकुमार को बच्चों को रेस्क्यू करने के निर्देश दिए। एसएचओ राजकुमार एएसआई मोहिंदर सिंह के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे और रात 12 बजे दोनों बच्चों को रेस्क्यू करके रॉकवूड (निकट पोर्टमोर) स्थित बाल आश्रम में पहुंचा दिया।

मासूम बच्चों ने बताया कि उनकी मां और पिता उन्हें छोड़कर कहीं चले गए और दोनों ने अलग-अलग शादी कर ली है।

प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा सनी सराफ ने बच्चों के दर्द को समझा और उनकी मदद की। उधर ढली पुलिस की टीम ने भी आधी रात को कार्रवाई कर के अत्यंत सराहनीय भूमिका निभाई। अब बच्चों के माता-पिता को ढूंढने का प्रयास किया जाएगा। तब तक बच्चे सुरक्षित आश्रय में रहेंगे।

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