चम्बा ! चंबा-पठानकोट एनएच पर चेहली के समीप हुई बस दुर्घटना से जिला में होली का पर्व फीका पड़ गया। लोगों ने होली पर्व को लेकर खूब तैयारियां कर रखीं थीं। लेकिन, जैसे ही बस हादसे की सूचना लोगों तक पहुंची तो हर कोई सतब्ध रह गया।
होली पर्व की अपनों संग खुशियां मनाने के लिए चंडीगढ़ से लौट रहे बस में सवार लोगों को शायद कतई आभास नहीं था कि बीच रास्ते में मौत उनका इंतजार कर रही है। जब वे सोमवार शाम चंडीगढ़ सहित अन्य क्षेत्रं से चंडीगढ़-पठानकोट-चंबा बस में रवाना हुए तो उन्होंने सोचा था कि मंगलवार सुबह घर पहुंचकर अपने मित्रों व सगे संबंधियों के साथ मिलकर गुलाल उड़ाएंगे। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही गवारा था। चेहली के समीप बस अचानक अनियंत्रित होकर सड़क से नीचे लुढ़क गई और चारों ओर चीखों पुकार मच गई। हादसा इतना इतना भयानक था कि उसमें सवार पांच लोगों की मौत हो गई। जबकि, 36 लोग घायल हो गए।
हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज चंबा में व्यवस्थाओं की पोल खोल बुरी तरह खुली। मंगलवार अल सुबह हुए हादसे की सूचना मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को देने के बावजूद काफी देर तक अव्यवस्था का आलम रहा। करीब डेढ़ घंटा एक ही चिकित्सक घायलों का उपचार करता रहा।
इसी बीच मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश गुलेरी भी पहुंचे। लेकिन अन्य चिकित्सकों ने आने में काफी देर कर दी। लिहाजा मरीजों को उपचार देने में काफी समय लग गया। इतना ही नहीं एंबुलेंसों की कमी भी खली। बताया जा रहा है सभी एंबुलेंस खराब पड़ी थीं। एकमात्र एंबुलेंस थी, इस पर एसडीएम व पुलिस के वाहन में घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। हादसे के बाद पर्याप्त एंबुलेंस न होने के कारण घायल हुए यात्रियों को निजी व सरकारी वाहनों में डालकर मेडिकल कॉलेज चंबा पहुंचाया गया। जिस कारण घायल करीब आधा घंटा वाहनों में ही तड़पते रहे और उन्हें प्राथमिक उपचार नहीं दिया जा सका।
मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर उन्होंने राहत की सांस ली।चम्बा -पठानकोट एनएच पर चैहली के समीप हुए बस हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज चंबा में अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिला। हादसे के बाद सदर विधायक चंबा पवन नैयर व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे। लेकिन, व्यवस्थाएं सही नहीं पाए जाने पर विधायक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से काफी खफा दिखे। अव्यवस्थाओं को देखते हुए विधायक ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से फोन के माध्यम से कर डाली।
मेडिकल कॉलेज में एक ही डॉक्टर करीब डेढ़ घंटे तक व्यवस्था संभालता रहा। डेढ घंटे की देरी के बाद ही अन्य डॉक्टर अस्पताल पहुंचे। जबकि, अस्पताल में स्ट्रेचर सहित अन्य सुविधाओं में भी कमी पाई गई।