सरकाघाट ! सीटू मज़दूर संगठन से सबन्धित हिमाचल प्रदेश निर्माण मजदूर फेडरेशन के राज्य महासचिव व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्री द्धारा कल विधानसभा में पेश किए गए बजट को मनरेगा व अन्य मज़दूर विरोधी बताया है।उनोहनें आरोप लगाया है कि विधानसभा में पेश किए गए बजट में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश के पन्द्रह लाख मनरेगा जाबकार्ड धारक मज़दूरों की दैनिक मज़दूरी में एक रुपये की बृद्धि ना करके इन लाखों मज़दूरों की पूरी तरह अनदेखी व उपेक्षा की है। जिसकी हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फेडरेशन कड़ी नींदा करती है और मज़दूरों की दैनिक मज़दूरी बढ़ाने की मांग करती है।
राज्य महासचिव ने कहा कि हिमाचल सरकार प्रेदश मनरेगा मज़दूरों से सौतेला व्यवहार कर रही है जिसके तहत वह कुछ दिहाड़ीदार मज़दूरों को 275 रु दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ मनरेगा योजना में आठ घंटे काम करने वाले लाखों मज़दूरों को 185 रु दे रही है जो इन मज़दूरों का सरेआम शोषण है। फेडरेशन की मांग है कि मनरेगा मज़दूरों को भी अन्य दिहड़ीदारो के बराबर 275 रु दैनिक मज़दूरी दी जाये और इसे दिल्ली व केरल सरकारों की तर्ज़ पर बढ़ाकर 350 रु किया जाये।साथ ही मज़दूरी को मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ा जाए ताकि महंगाई बढ़ने के साथ साथ मज़दूरी में हर साल बढ़ोतरी हो।भूपेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री के उस प्रस्ताव को हास्यस्पद व अव्यवहारिक बताया है जिसमें उन्होंने कहा है कि 100 दिन पूरा करने वाले मनरेगा मज़दूरों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जबकि हक़ीक़त यह है सौ दिनों का काम प्रदेश में पांच से दस प्रतिशत मज़दूरों को भी नहीं मिल रहा है तो फ़िर इस प्रकार के प्रस्ताव का कोई लाभ मज़दूरों को नहीं मिलेगा। फेडरेशन की मांग है कि मनरेगा योजना के तहत निर्धारित 120 दिनों का रोज़गार सुनिशित किया जाये और मनरेगा मज़दूरों को भी अन्य दिहड़ीदारो के बराबर 275 रु दिए जाएं।अगर मुख्यमन्त्री मज़दूरों का वेतन नहीं बढ़ाएंगे तो मनरेगा मज़दूर फेडरेशन 31 मार्च को विधानसभा का घेराव करेगी।