पॉलिटीकल साइंस की परीक्षा सिर्फ अंग्रेजी भाषा में – परीक्षार्थियों में भारी रोष !

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संधोल ! मातृभाषा हिन्दी समृद्ध भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी है। यह भारतीयों के लिए सौभाग्य की बात है, लेकिन हर वर्ष हिन्दी दिवस पर लाखों रुपये बहाए जाते हैं, लेकिन हिन्दी को बढ़ावा देने में सरकार में इच्छा शक्ति की कमी है इसका एक उदाहरण आज प्रदेश भर में फैला है दरअसल पब्लिक सर्विस कमीशन शिमला द्वारा पॉलिटीकल साइंस लैक्चरार कि परीक्षा 14 मार्च 2020 को रखी गई है जिसके लिए पब्लिक सर्विक कमीसन शिमला ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि इस बार पॉलिटीकल साइंस की परीक्षा अंग्रेजी भाषा में ली जाएगी इससे प्रदेश भर के परीक्षार्थियों में भारी रोष है हालांकि परीक्षार्थियों का कहना है कि परीक्षा पिछली बार भी हिंदी ,अंग्रेजी दोनों भाषाओं में ली गई थी परन्तु इस बार परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में रख कर हजारों युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बहुत से परीक्षार्थी ऐसे हैं जिन्होंने पॉलिटीकल साइंस विषय शुरुआत से ही हिन्दी भाषा में पढ़ा है उनके लिए परीक्षा में बैठना “बिन तेल के बाती जलाने” समान कठिन है।

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परीक्षार्थियों ने इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी करने की कोशिश की लेकिन वहां से भी निराशा का सामना करना पड़ा। युवाओं का कहना है कि जब यूपीएससी का पेपर दोनों भाषाओं में हो सकता है तो लैक्चरार का क्यों नहीं? एक तरह लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है तथा दूसरी तरफ सरकार द्वारा लिए गए ऐसे निर्णय अत्यंत चिंतनीय हैं।  सोशल मीडिया पर लेक्चरर परीक्षा का मामला एक बड़े मुद्दे की तरह उठा है,परीक्षार्थी लगातार आश लगाए बैठें हैं कि पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा जल्द से जल्द परीक्षा पर अपने निर्णय में बदलाव किया जाए ताकि युवाओं के सपने मिट्टी में न मिलें और जिन्होंने पहले से ही हिंदी विषय में अपनी पढ़ाई की है वह भी परीक्षा में बैठ सकें।

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