सुंदर नगर ! प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के साथ मात्र छल ही होता नजर आया है। इस संदर्भ में कृष्ण कुमार पुत्र अश्विनी कुमार ग्राम मडॉगलू डाकघर चचयॉट तहसील गोहर जिला मंडी ने बताया कि उन्हें इस योजना के तहत चार किस्तों के तहत राशि प्राप्त होनी थी। लेकिन यह राशि उनके खाते में आने की बजाय किसी और के खाते में चली गई है। इस तरह की लापरवाही के चलते कृष्ण कुमार पुत्र अश्विनी कुमार को प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली के प्रति गहरा मलाल है । कृष्ण कुमार का कहना है कि उन्होंने इस समस्या के संदर्भ में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1100 पर भी शिकायत की । लेकिन आज दिन तक कोई भी समाधान नहीं हुआ है । उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1100 पर उन्होंने एक मर्तबा नहीं बल्कि 2 बार इस समस्या के समाधान को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है। लेकिन आज दिन तक ना तो मुख्यमंत्री कार्यालय से और ना ही जिला प्रशासन से लेकर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और ना ही इस योजना का पैसा खाते में आया है। कृष्ण कुमार का कहना है कि अभी हाल ही में इस योजना के राज्य नोडल अधिकारी सीपी वर्मा ने त्वरित कार्यवाही अमल में लाते हुए संबंधित जिला प्रशासन को और जिला राजस्व अधिकारी को इस योजना का पैसा कृष्ण कुमार के खाते में डालने के लिए पत्राचार के माध्यम से निर्देश भी दिए हैं ।
लेकिन जिला स्तर प्रशासन पर बैठा तबका इस योजना के तहत लाभार्थी को योजना का लाभ देने में कोई भी कार्यवाही करता अमल में नहीं आया है। कृष्ण कुमार ने हैरानी जताई है कि जबकि आधार कार्ड नंबर खाता नंबर इस योजना के तहत उनका दर्शाया गया है तो दूसरे के खाते में पैसे कैसे चले गए हैं । यह बात आज दिन तक उनके समझ में नहीं उतर रही है। उन्होंने कहा है कि इस योजना के तहत कहीं ना कहीं बड़े स्तर पर घोटाला होता नजर आया है। इसकी उन्होंने देश के प्रधानमंत्री से इस योजना के तहत स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने के आग्रह किया है ताकि कोई भी किसान स्वयं को ठगा सा महसूस ना कर सके।कृष्ण कुमार का कहना है कि इस संदर्भ में उन्होंने स्थानीय बी डी ओ से भी संपर्क किया तो उन्होंने एसडीएम से संपर्क साधने का परामर्श किया। लेकिन जब कृष्ण कुमार ने एसडीएम से भी मिले तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मसले के बारे में जानकारी नहीं है फिर भी इस समस्या का समाधान करने के लिए जल्द ही आगामी उचित कब कदम उठाए जाएंगे कृष्ण कुमार का कहना है कि इस कार्यवाही को चलते हुए 1 साल से ऊपर समय बीत चुका है। लेकिन सरकारी दफ्तर में कागज एक से दूसरी दफ्तर की फाइलों तक ही सिमट कर रह गए हैं।