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बिलासपुर , 03 अप्रैल [ राकेश शर्मा ] ! झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल ने लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले झंडूता विधानसभा क्षेत्र में बागछाल पुल समेत कई अन्य कार्यों के उद्घाटनों और शिलान्यासों को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि चुनावी बेला में अपने सवा साल की तथाकथित उपलब्धियों को लेकर खूब डींगें हांक रहे मुख्यमंत्री को पहले यह बताना चाहिए कि आधे-अधूरे कार्यों का उद्घाटन करके उन्होंने झंडूता विधानसभा क्षेत्र की जनता की भावनाओं का अपमान क्यों किया। इन उद्घाटनों और शिलान्यासों को लेकर झंडूता मंडल भाजपा द्वारा पारित किए गए निंदा प्रस्ताव की प्रति भेजने के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। उन्होंने मांग की कि गलत ढंग से किए गए इन उद्घाटनों को रद करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जीतराम कटवाल ने कहा है कि गत 16 मार्च को लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से महज डेढ़-दो घंटे पहले झंडूता विधानसभा क्षेत्र में बागछाल पुल, काहरवीं पेयजल योजना, कलोल उप तहसील भवन और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऋषिकेश का उद्घाटन कर दिया गया। इनमें से कोई भी काम अभी पूरा नहीं हुआ है। बागछाल पुल का काम कांग्रेस सरकार के ही कार्यकाल में तकनीकी खामी का हवाला देकर बंद कर दिया गया था। 2017 से 2022 तक भाजपा सरकार के समय किए गए प्रयासों की बदौलत इस पुल का सपना साकार हो पाया है। हालांकि अभी पुल की शटरिंग भी नहीं निकाली गई है। यहां तक कि नयनादेवी क्षेत्र की ओर से पुल अभी तक सड़क से जुड़ा भी नहीं है। पुल का काम पूरा होने में 2-3 महीने और लगेंगे। इसके बावजूद आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आनन-फानन में इसका उद्घाटन कर दिया गया। हाल ही में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तृतीय चरण में केंद्र सरकार ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के लिए भी नई सड़कें मंजूर की हैं। नियमों और औपचारिकताओं को दरकिनार करके इन सड़कों का शिलान्यास भी आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले कर दिया गया। जीतराम कटवाल ने कहा कि इन आधे-अधूरे कार्यों के उद्घाटनों और नियमों के विपरीत किए गए शिलान्यासों के दौरान लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद नहीं थे। केवल तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी उनके साथ थे। वह (कटवाल) झंडूता विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। स्थानीय विधायक होने के बावजूद उन्हें इन कार्यक्रमों में बुलाया तक नहीं गया। ऐसा करके उनका नहीं, बल्कि झंडूता विधानसभा क्षेत्र की जनता का अपमान किया गया है। क्षेत्रवासी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार से इस पर्वतीय राज्य के विकास के लिए हरसंभव मदद मिलती रही है। इसके विपरीत प्रदेश सरकार ने अपने इस कृत्य से राजनीतिक द्वेष भावना का स्पष्ट प्रमाण दिया है। इसी वजह से झंडूता मंडल भाजपा को निंदा प्रस्ताव पारित करना पड़ा। लोकसभा की चुनावी बेला में प्रदेश सरकार अपने सवा साल की हवा-हवाई उपलब्धियों को लेकर कई तरह की डींगें हांक रही है। बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री इन सभी उद्घाटनों और शिलान्यासों को निरस्त करें, ताकि झंडूता क्षेत्र की जनता की नाराजगी दूर हो सके।
बिलासपुर , 03 अप्रैल [ राकेश शर्मा ] ! झंडूता के विधायक जीतराम कटवाल ने लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले झंडूता विधानसभा क्षेत्र में बागछाल पुल समेत कई अन्य कार्यों के उद्घाटनों और शिलान्यासों को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि चुनावी बेला में अपने सवा साल की तथाकथित उपलब्धियों को लेकर खूब डींगें हांक रहे मुख्यमंत्री को पहले यह बताना चाहिए कि आधे-अधूरे कार्यों का उद्घाटन करके उन्होंने झंडूता विधानसभा क्षेत्र की जनता की भावनाओं का अपमान क्यों किया।
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इन उद्घाटनों और शिलान्यासों को लेकर झंडूता मंडल भाजपा द्वारा पारित किए गए निंदा प्रस्ताव की प्रति भेजने के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। उन्होंने मांग की कि गलत ढंग से किए गए इन उद्घाटनों को रद करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जीतराम कटवाल ने कहा है कि गत 16 मार्च को लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से महज डेढ़-दो घंटे पहले झंडूता विधानसभा क्षेत्र में बागछाल पुल, काहरवीं पेयजल योजना, कलोल उप तहसील भवन और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऋषिकेश का उद्घाटन कर दिया गया। इनमें से कोई भी काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
बागछाल पुल का काम कांग्रेस सरकार के ही कार्यकाल में तकनीकी खामी का हवाला देकर बंद कर दिया गया था। 2017 से 2022 तक भाजपा सरकार के समय किए गए प्रयासों की बदौलत इस पुल का सपना साकार हो पाया है। हालांकि अभी पुल की शटरिंग भी नहीं निकाली गई है। यहां तक कि नयनादेवी क्षेत्र की ओर से पुल अभी तक सड़क से जुड़ा भी नहीं है।
पुल का काम पूरा होने में 2-3 महीने और लगेंगे। इसके बावजूद आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आनन-फानन में इसका उद्घाटन कर दिया गया। हाल ही में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तृतीय चरण में केंद्र सरकार ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के लिए भी नई सड़कें मंजूर की हैं। नियमों और औपचारिकताओं को दरकिनार करके इन सड़कों का शिलान्यास भी आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले कर दिया गया।
जीतराम कटवाल ने कहा कि इन आधे-अधूरे कार्यों के उद्घाटनों और नियमों के विपरीत किए गए शिलान्यासों के दौरान लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद नहीं थे। केवल तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी उनके साथ थे। वह (कटवाल) झंडूता विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
स्थानीय विधायक होने के बावजूद उन्हें इन कार्यक्रमों में बुलाया तक नहीं गया। ऐसा करके उनका नहीं, बल्कि झंडूता विधानसभा क्षेत्र की जनता का अपमान किया गया है। क्षेत्रवासी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार से इस पर्वतीय राज्य के विकास के लिए हरसंभव मदद मिलती रही है। इसके विपरीत प्रदेश सरकार ने अपने इस कृत्य से राजनीतिक द्वेष भावना का स्पष्ट प्रमाण दिया है।
इसी वजह से झंडूता मंडल भाजपा को निंदा प्रस्ताव पारित करना पड़ा। लोकसभा की चुनावी बेला में प्रदेश सरकार अपने सवा साल की हवा-हवाई उपलब्धियों को लेकर कई तरह की डींगें हांक रही है। बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री इन सभी उद्घाटनों और शिलान्यासों को निरस्त करें, ताकि झंडूता क्षेत्र की जनता की नाराजगी दूर हो सके।
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