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चम्बा, 14 मार्च [ शिवानी ] ! जिला चम्बा के सामाजिक समरसता मंच के अध्यक्ष सेवानिवृत प्रधानाचार्य राजेश शर्मा व अधिवक्ता किशोरी लाल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ए.सी. टू डी.सी. पी.पी. सिंह से मिला। उनके माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म को ज्ञापन पत्र भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर अविलंब कार्यवाही कर दोषियों तथा दोषियों को संरक्षण प्रदान करने वालों के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि (पश्चिम बंगाल) में अनुसूचित आप जाति/जनजाति के लोगों जिनमें महिलाएं एवं बालिकाएं भी शामिल हैं पर कई वर्षों से अविराम अत्याचार एव अमानवीय व्यवहार एक राजनीतिक दल और उनके गुंडों द्वारा किया जा रहा है। जनजाति के लोग कृषि व अन्य कार्य कर अपना जीवन यापन करते है उनकी जमीनों पर राजनीतिक दल के नेता और उसके गुंडों द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया है साथ ही क्षेत्र की बहुमूल्य संपदा की भी चोरी की जा रही है। राजनीतिक दल के गुंडे जबरन घर-घर से महिलाओं तथा युवतियों को उनके द्वारा स्थापित कार्यालय व भवनों में ले जाकर बंधक बनाकर शारीरिक शोषण व अत्याचार करते हैं। अपने ऊपर हो रहे इन अमानवीय अत्याचारों के विरुद्ध स्थानीय महिलाओं एवं बालिकाओं के द्वारा ८ फरवरी को अपनी जान को जोखिम में डालकर जुलूस निकाल कर राजनीतिक दल के नेता और उसके गुंडों द्वारा किए जा रहे अत्याचार व अन्याय के खिलाफ जिला प्रशासन व शासन स्तर पर शिकायत की गई। उन्होंने कहा कि उक्त जुलूस में अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं एवं बालिकाओं के आक्रोश के परिणामस्वरुप पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल सी.पी. आनंद बोस द्वारा उस क्षेत्र का भ्रमण व दौरा किया गया। राजनीतिक और धार्मिक कारणों से प्रेरित यह कृत्य पुलिस प्रशासन एवं पश्चिम बंगाल सरकार की नाकामी को भी उजागर करते हैं, महिलाओं बालिकाओं और बच्चों के साथ बर्बरतापूर्वक व्यवहार, यौन उत्पीड़न, मारपीट की अनेकों घटनाएं लगातार निकलकर सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सामाजिक समरसता मंच चम्बा के माध्यम से मांग करते हैं कि राज्य शासन को सख्ती के साथ निर्देशित किया जाए कि राजनीतिक दल के नेता और उनके गुंडों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के साथ अनुसूचित जाति व जनजाति संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएं। एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय जांच दल गठित कर संदेशखाली का भ्रमण व दौरा कर प्रतिवेदन मंगाया जाए तथा उक्त प्रतिवेदन पर तुरंत कार्रवाई कर दोषियों तथा उनको संरक्षण देने वालों को समुचित रूप से दंडित किया जाए।
चम्बा, 14 मार्च [ शिवानी ] ! जिला चम्बा के सामाजिक समरसता मंच के अध्यक्ष सेवानिवृत प्रधानाचार्य राजेश शर्मा व अधिवक्ता किशोरी लाल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ए.सी. टू डी.सी. पी.पी. सिंह से मिला। उनके माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म को ज्ञापन पत्र भेजा।
इसमें उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर अविलंब कार्यवाही कर दोषियों तथा दोषियों को संरक्षण प्रदान करने वालों के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई की जाए।
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उन्होंने कहा कि (पश्चिम बंगाल) में अनुसूचित आप जाति/जनजाति के लोगों जिनमें महिलाएं एवं बालिकाएं भी शामिल हैं पर कई वर्षों से अविराम अत्याचार एव अमानवीय व्यवहार एक राजनीतिक दल और उनके गुंडों द्वारा किया जा रहा है।
जनजाति के लोग कृषि व अन्य कार्य कर अपना जीवन यापन करते है उनकी जमीनों पर राजनीतिक दल के नेता और उसके गुंडों द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया है साथ ही क्षेत्र की बहुमूल्य संपदा की भी चोरी की जा रही है। राजनीतिक दल के गुंडे जबरन घर-घर से महिलाओं तथा युवतियों को उनके द्वारा स्थापित कार्यालय व भवनों में ले जाकर बंधक बनाकर शारीरिक शोषण व अत्याचार करते हैं।
अपने ऊपर हो रहे इन अमानवीय अत्याचारों के विरुद्ध स्थानीय महिलाओं एवं बालिकाओं के द्वारा ८ फरवरी को अपनी जान को जोखिम में डालकर जुलूस निकाल कर राजनीतिक दल के नेता और उसके गुंडों द्वारा किए जा रहे अत्याचार व अन्याय के खिलाफ जिला प्रशासन व शासन स्तर पर शिकायत की गई।
उन्होंने कहा कि उक्त जुलूस में अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं एवं बालिकाओं के आक्रोश के परिणामस्वरुप पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल सी.पी. आनंद बोस द्वारा उस क्षेत्र का भ्रमण व दौरा किया गया। राजनीतिक और धार्मिक कारणों से प्रेरित यह कृत्य पुलिस प्रशासन एवं पश्चिम बंगाल सरकार की नाकामी को भी उजागर करते हैं, महिलाओं बालिकाओं और बच्चों के साथ बर्बरतापूर्वक व्यवहार, यौन उत्पीड़न, मारपीट की अनेकों घटनाएं लगातार निकलकर सामने आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि हम सामाजिक समरसता मंच चम्बा के माध्यम से मांग करते हैं कि राज्य शासन को सख्ती के साथ निर्देशित किया जाए कि राजनीतिक दल के नेता और उनके गुंडों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के साथ अनुसूचित जाति व जनजाति संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएं।
एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय जांच दल गठित कर संदेशखाली का भ्रमण व दौरा कर प्रतिवेदन मंगाया जाए तथा उक्त प्रतिवेदन पर तुरंत कार्रवाई कर दोषियों तथा उनको संरक्षण देने वालों को समुचित रूप से दंडित किया जाए।
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