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सोलन ! औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की थाना पंचायत के धर्मपुर गांव में स्थित एक फूड प्रोडक्ट कंपनी की ओर से बिना लाइसेंस के फर्जी दवाइयां बनाने पर ड्रग विभाग ने सीज कर दिया है। कंपनी में मिली नकली दवाइयों को कब्जे में लिया है। ड्रग विभाग को जैसे ही धर्मपुर स्थित दवा कंपनी पर नकली दवा बनाने का शक हो गया था। जिसके तहत विभाग ने इस कंपनी पर रेकी के लिए एक टीम बना दी थी जो इसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी। टीम ने वीरवार देर सांय कंपनी में दबिश दी। इस दौरान कंपनी में बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ की नामी उद्योगों की नकली दवा उद्योग में पाई गई। तलाशी के दौरान टीम को मेकलियोड्स फार्मा के जैव डी3 प्लस कैप्सूल (मात्रा 25485 कैप्सूल), मेक्लिओड्स फार्मा के बायो डी3 मैक्स कैप्सूल (मात्रा 5310 कैप्सूल), पार्क फार्मा के पॉलीबैग में सार्टन डीएसआर के ढीले कैप्सूल (448 ग्राम।), एल वी लाइफसाइंसेज के ऑर्थोरियम एमएसएम टैबलेट (मात्रा 3080 टैबलेट), मेक्लिओड्स फार्मा के बायो डी3प्लस कैप्सूल के कार्टन (31 नंबर), एलवी लाइफसाइंसेज के ऑर्थोरियम एमएसएम टैबलेट के कार्टन (20 नंबर) इसके अलावा नकली दवाओं के निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी और उपकरण भी जब्त किये गए। जबकि कंपनी संचालक के पास दवा बनाने का कोई लाइसेंस ही नहीं था। कंपनी के पास फूड का लाइसेंस था लेकिन वह फर्जी तरीके से दूसरी कंपनी के नाम पर फेक दवाई बना रहा था। उक्त फर्म का कब्जाधारी परिसर में मौजूद नहीं था और परिसर में केवल तीन-चार कर्मचारी मौजूद थे। चूंकि कब्जाधारी सूचित करने के बावजूद जांच में शामिल होने के लिए नहीं आया, इसलिए परिसर में कार्यकर्ताओं, गवाहों और पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में तलाशी ली गई। आपको बतादे कि ड्रग विभाग को गुप्त सुचना मिली थी जिसके बाद औषधि निरीक्षकों की एक टीम पिछले पंद्रह दिनों से उपरोक्त फर्म की गतिविधियों की नियमित निगरानी कर रही थी और गुरुवार को ड्रग इंस्पेक्टर हरीश कुमार ने संदेह के आधार पर वाहन निजी फार्म कंपनी की स्विफ्ट कार एचआर 41 एल 9992 का पीछा किया और तलाशी लेने पर यह पाया गया कि विक्रांत नाम के उक्त वाहन का चालक से ड्रग्स सार्टन डीएसआर (एंट्रिक कोटेड रैबेप्राजोल और डॉम्परिडोन) के लगभग 47000 कैप्सूल बरामद किये। जिसके बाद औषध निरीक्षक हरीश ने तुरंत राज्य औषधि नियंत्रक को सूचित किया और टेलीफोन पर दो टीमों का गठन किया। जिसमें एक ड्रग इंस्पेक्टर: रजत, हरीश और प्रोमिला और दूसरी टीम में ड्रग इंस्पेक्टर अनूप, लवली और अक्षय शामिल थे।राज्य ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाह ने कंपनी सीज करने की पुष्टि करते हुए बताया कि आर्य फार्मा कंपनी के पास कोई भी दवा बनाने का लाइसेंस नहीं था। यह कंपनी बिना लाइसेंस के दूसरी बड़ी कंपनियों की नकली दवा बना कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही थी। कंपनी का संचालक दबिश पड़ते ही कंपनी से फरार हो गया है। उन्होंने उसे जांच में शामिल होने के लिए सूचना दी है। अन्यथा उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल मे लाई जाएीग। जांच टीम ने कंपनी और गाड़ी को सीज कर लिया है। कंपनी की नकली दवाइयों को भी कब्जे में ले लिया है। साथ ही अदालत को भी इसकी सूचना दे दी गई है।
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