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सोलन , [ बद्दी ] ,, 10 अक्तूबर [ पंकज गोल्डी ] ! राष्ट्रीय स्वयं सेवक बददी शाखा द्वारा शनिवार रात्रि शरद पूर्णिमा कार्यक्रम का आयोजन हाऊसिंग बोर्ड पार्क फेस दो में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर जिला बौद्विक प्रमुख प्रदीप गुप्ता उपस्थित हुए जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर कार्यवाह राहुल कुमार ने की। सर्वप्रथम मैदान में विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया जिसमें बाल, तरुण व प्रौढ़ गट शामिल रहे। इसमें अलग अलग प्रतियोगिताएं करवाई गई जिसमें अंताक्षरी, कबडडी, दौड आदि शारीरिक कार्यक्रम शामिल रहे। मुख्य शिक्षक गौरव शर्मा ने खेलों का संचालन किया और सभी को अनुशासनबद्व रहने का आग्रह किया। नगर कार्यवाह राहुल कुमार ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर हर साल संघ ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि हमें अपनी सभ्यता संस्कृति का पता रहे और युवा पीढ़ी इसी पर चलकर देश का निर्माण करे। जिला नालागढ़ बौद्विक प्रमुख प्रदीप गुप्ता ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम भगवान बाल्मिकी के जीवन के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि अगर अखंड भारत बनाना है तो हमें जाति पाति उसे उपर उठकर सबको साथ लेकर चलना होगा। छुआछूत व जाति पाति त्याग कर ही भारत विश्व गुरु बन सकता है। शरद पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश ड़ालते हुए उन्होने कहा कि शरद पूर्णिमा पर मां महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी अमृत समान होती है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में बैठने से शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। श्वांस संबंधी बीमारी दूर होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र दर्शन करने से नेत्र संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। इस रात्रि खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखी जाती है। मां लक्ष्मी का पूजन करने के बाद चंद्र दर्शन किया जाता है। शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस रात्रि में जागरण करने और मां लक्ष्मी की उपासना से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान उन्हें गुलाबी रंग के फूल और इत्र, सुंगध अर्पित करें। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ, कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ चंद्रदेव की विशेष पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई अर्पित करें। शाम को श्रीराधा-कृष्ण की पूजा करें। उन्हें गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। मध्य रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें। शरद पूर्णिमा पर सात्विक भोजन करें। शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों के साथ महारास रचाया था। इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस अवसर पर अंकित, सुरजीत, हिमांशु, सुधांशू, गोपाल, विष्णु, हनुमान, गौरव शर्मा सहित कई स्वयंसेवक उपस्थित थे।
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