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सिरमौर ! जिला के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की पिछले लंबे समय से मांग की जा रही वहीं गिरी पार को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने के विरोध में भी इसी क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने हाटी समुदाय पर केंद्रीय मंत्रालय को दिए गए राजस्व विभाग के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए हैं। शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि जिला सिरमौर के गिरी पार क्षेत्र को एसटी घोषित करने की कवायद चली है। उससे अनुसूचित जाति की 40 फ़ीसदी आबादी को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा यदि यह एसटी क्षेत्र घोषित होता है तो आने वाले दिनों में अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार होते रहेंगे। और जब एसटी क्षेत्र घोषित होगा तब अनुसूचित जनजाति पर एट्रोसिटी एक्ट निष्प्रभावी हो जाएगा साथ ही एसटी क्षेत्र हो घोषित होगा तो पंचायती राज आरक्षण रोस्टर व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। जिससे अनुसूचित जाति के 15% से सीधा 7% में आ जाएंगे और उन्हें हक व अधिकार 15% होने के नाते भी नहीं मिल रहे हैं तो इस बात का भी क्या विश्वास किया जाएगा कि एसटी क्षेत्र घोषित होने के बाद उन्हें अपने हक मिलेंगे जो हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी पूरी रिपोर्ट गलत दस्तावेज पेश किए गए हैं दस्तावेज चीजों के साथ छेड़खानी की गई हैं राजस्व विभाग को जो दस्तावेज दिए हैं उनके साथ ही भी छेड़खानी की गई है और लोग फायदा लेने के लिए जाति के साथ-साथ अपना धर्म भी बदल रहे हैं । उन्होंने कहा कि समिति अनुसूचित जाति के हक ओर अधिकारों की बलि चढ़ाने नही देंगे यदि अधिकारो को छीनने की कोई कोशिश करता है तो उसका सख्त विरोध किया जाएगा ।
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