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शिमला ! हिमाचल प्रदेश राजभवन में संस्कृत भारती के माध्यम से 20 दिवसीय संभाषण शिविर के समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने की। इस अवसर पर, मुख्य वक्ता के तौर पर संस्कृत भारती के अखिल भारत संघटन मंत्री दिनेश कामत भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राजभवन के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा संस्कृत भाषा में कार्यक्रम आयोजित किया गया। पूरे देश में राजभवन स्तर पर आयोति संस्कृत पर आधारित यह पहला संभाषण शिविर था। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि संस्कृत भाषा संस्कार की भाषा है। उन्होंने कहा कि योग्य संस्कार ने मिलने के कारण समाज में हमारे सामने अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि दुनियां के अधिकांश विकसित राष्ट्रों में अपनी भाषा में ही हर कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज देश में स्थितियां बदल रही हैं और हमारे समक्ष संस्कृत को पुर्नस्थापित करने का सुअवसर है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, इतिहासि और परम्परा को जगाने की आवश्यकता है। श्री आर्लेकर ने कहा कि भाषा सीखने के लिए पुस्तक की नहीं बल्कि संभाषण की आवश्यकता होती है और संभाषण एक कला है, जो सुनकर प्रभावी होती है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि राजभवन में इसका सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया गया। उन्होंने कहा कि यह प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे तथा विश्वविद्यालय स्तर पर ऐसे संभाषण शिविर आयोजित किए जाएंगे। इससे पूर्व, श्री दिनेश कामत ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की अधिक उपयोगिता पर बल दिया। इसे राष्ट्रीय एकता से जोड़कर इसे अपनाने पर बल दिय। राज्यपाल के सचिव श्री विवेक भाटिया ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राजभवन कर्मचारियों ने संस्कृत में संगीत कार्यक्रम और अपने अनुभव भी सांझे किए। संस्कृत भारत उत्तर क्षेत्र संघटन मंत्री श्री नरेद्र कुमार , दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लोकेंद्र शर्मा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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