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शिमला ! हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने आज एक प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया है की 27 नवंबर को होने वाली जीसीसी की बैठक के लिए जिस तरह से स्थान सचिवालय से पिटर होफ परिवर्तित किया गया है कि सचिवालय में बैठने के लिए जगह का अभाव है और एक बड़ी बैठक की तैयारियां की जा रही है उसके मध्यनजर संघ को लगता है कि माननीय मुख्यमंत्री ने अवश्य ही शिक्षकों को भी जेसीसी में बुलाने का मन बना दिया है l चौहान ने कहा कि हम 90000 शिक्षकों के लिए लंबे समय से जेसीसी बैठक में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार से प्रयासरत है और हर मंच के माध्यम से सरकार के ऊपर शिक्षकों की जेसीसी में भागीदारी के लिए दबाव बनाया जा रहा है अब लगता है कि सरकार शिक्षकों के लिए भी जेसीसी करने वाली हैं जिससे शिक्षकों और बच्चों की अनगिनत मांगों को सही तरीके से सरकार से उठाया जाए सकेगा l जितनी मांगे बाकी सब विभागों के कर्मचारियों की बनती है अकेली ही उतनी मांगें शिक्षा विभाग में शिक्षकों और बच्चों से जुड़ी हुई मांगे है l चौहान ने कहा के जेसीसी बैठक में कुछ ऐसे मुद्दों को जोड़ा गया है जो मुद्दे हमारे हक के रूप में है या यूं कहें सरकार की देनदारियों हैं जिसे सरकार को ना चाहते हुए भी पूरा करना है जैसे कि छठा वेतन आयोग जो 2016 से दे बनता है उसी तरह डीए की 5% की किस्त जो सरकार के द्वारा कर्मचारियों को अभी तक नहीं दी गई है इसी तरह 3 साल से अनुबंध सेवा काल को नियमितीकरण के लिए घटाकर 2 वर्ष करना , यह पहले से सरकार के विजन डॉक्यूमेंट में है जो की सरकार को पूरा करना है बल्कि कर्मचारियों की मांग तो अनुबंध काल को खत्म कर नियमित भर्तियां करने की है और साथ ही अनुबंध से नियम हुए कर्मचारियों को उनकी प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता एवं सभी सेवा लाभ देने संबंधी मांग है इसके अलावा अगर कर्मचारियों की मांग की बात करें उसमें छठे वेतन आयोग को केंद्र सरकार के वेतन आयोग के आधार पर देने और केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए सभी भतो को हिमाचल में लागू करने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली करना और 4-9-14 के टाइम स्केल को दोबारा से बहाल करना और इस संदर्भ में रूल 2009 की अधिसूचना के साथ जो बाद में दिनांक 26 -2-013 एवं 7-7- 20 14 तथा 9-9-2014 की अधिसूचना के द्वारा जो छेड़छाड़ हुई है इन उपरोक्त तीनों अधिसूचनाओं को वापस लेकर वास्तविक 4-9-14 टाइम स्केल को बहाल करना , सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को पॉलिसी बनाकर नियमित करना जिसमें शिक्षा विभाग के कंप्यूटर टीचर्स सबसे ज्यादा शोषित वर्ग है, एसएमसी शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाना ,15 वर्षों तक पदोन्नति नहीं होने की स्थिति पर सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को दो विशेष वेतन वृद्धि देना सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए कैशलेस हेल्थ स्कीम जारी करना, प्रदेश के कर्मचारियों के लिए एलटीसी सुविधा फिर से बहाल करना, इसके साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में अनगिनत मुद्दे शिक्षकों और अन्य कर्मचारी वर्ग के हैं जिसकी कर्मचारी बड़े लंबे समय से आस लगाए बैठे हैं l इसलिए अध्यापक संघ सरकार से उम्मीद रखता है कि उपरोक्त मुद्दों के ऊपर सरकार फैसला लेकर कर्मचारी हितैषी होने के अपने दावे को सही साबित करेगी l साथ ही चौहान ने यह भी कहा कि यदि सरकार इन मांगों पर जेसीसी की बैठक में निर्णय लेती है और इसकी औपचारिक घोषणा करती हैं तो संघ मुख्यमंत्री को जल्दी एक कार्यक्रम के माध्यम से चांदी के सिक्कों से तौल कर सम्मानित भी करेगा भले ही उन्हें किसी बैठक में ही क्यों ना बुलाए l लेकिन यदि उपरोक्त इन मुद्दों पर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया और कर्मचारियों को गुमराह करने का प्रयास किया गया तो आने वाले दिनों में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगा और निदेशालय से लेकर सचिवालय तक सरकार का घेराव करेगा जिससे सरकार के 2022 की मिशन रिपीट की अटकलों पर विराम लग जाएगा l
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